Vijay Shah की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, इस्तीफे पर अभी भी सस्पेंस
मध्यप्रदेश के वन मंत्री Vijay Shah एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बयान को लेकर सियासी तूफान मच चुका है और विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।
विजय शाह ने क्या कहा था?
कुछ दिनों पहले Vijay Shah ने एक जनसभा में कर्नल सोफिया पर ऐसी टिप्पणी कर दी थी, जिसे देशभर में आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि “जो पाकिस्तान में बम गिराने गई थी, वह आतंकवादियों की बहन कैसे हो सकती है?” यह बयान भारतीय सेना के गौरव के विरुद्ध माना गया और इसी के चलते High Court ने स्वतः संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया।

High Court के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे विजय शाह
Vijay Shah ने अब Supreme Court का रुख किया है और High Court के आदेश पर रोक लगाने की अपील की है। हालांकि कोर्ट ने तत्काल किसी राहत से इनकार किया है। याचिका में उन्होंने दलील दी कि उनका बयान जानबूझकर नहीं था और वे सेना व देश के प्रति सम्मान रखते हैं।
क्या Vijay Shah देंगे इस्तीफा?
इस पूरे विवाद के बाद उनके resignation को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया है लेकिन कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। BJP सूत्रों ने यह संकेत जरूर दिए हैं कि मामला गंभीर है और पार्टी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती।
विजय शाह का सफाई बयान
उन्होंने मीडिया के सामने आकर कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था।
उन्होंने कर्नल सोफिया को बहन समान बताया और माफी भी मांगी।
परंतु सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह माफी उनके राजनीतिक भविष्य को बचा पाएगी?

Vijay Shah पर विपक्ष का हमला
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विजय शाह के बयान को सेना का अपमान करार दिया है। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने BJP पर हमला बोलते हुए इस्तीफे की मांग की है।
Operation Sindoor से जुड़ी कर्नल सोफिया
कर्नल सोफिया कुरैशी भारत की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने Kargil और Operation Sindoor जैसे मिशनों में भाग लिया है।
उन पर की गई टिप्पणी देश की वीर नारियों का अपमान मानी जा रही है।
Vijay Shah की यह कानूनी लड़ाई अभी लंबी चल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बावजूद उन्हें तत्काल राहत नहीं मिली है।
अब देखना यह होगा कि पार्टी और सरकार उनके इस्तीफे को लेकर क्या रुख अपनाते हैं।
लेकिन एक बात साफ है, जनता और सेना से जुड़े मुद्दों पर नेताओं के बयान अब अधिक जवाबदेही मांगते हैं।