15 सितंबर 2025, नई दिल्ली – मणिपुर (Manipur) में शांति की उम्मीदों पर पानी फिर फेर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के हालिया दौरे के महज एक दिन बाद रविवार को चुराचांदपुर जिले में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे। स्थानीय लोगों ने दो युवकों की रिहाई की मांग को लेकर पुलिस थाने पर धावा बोल दिया और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवानों पर पथराव किया। हालांकि, मजिस्ट्रेट की सुनवाई के बाद दोनों युवकों को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद स्थिति सामान्य हो गई।
घटना का पूरा विवरण
यह घटना पीएम मोदी के शनिवार (13 सितंबर 2025) के दौरे के ठीक अगले दिन घटी। पीएम ने चुराचांदपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए मणिपुर की जनता की तारीफ की थी और राज्य को “शांति का प्रतीक” बनाने का वादा किया था। लेकिन दौरे से पहले गुरुवार रात (11 सितंबर 2025) को ही विवाद की शुरुआत हो गई। पीएम के स्वागत के लिए लगाए गए बैनर और कटआउट को फाड़ने के आरोप में कई युवकों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से दो को पूछताछ के लिए रखा गया।
रविवार को स्थानीय लोग इन युवकों की तत्काल रिहाई की मांग लेकर सड़कों पर उतर आए। भीड़ का आकार बढ़ता गया और मामला हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने चुराचांदपुर पुलिस थाने पर हमला बोल दिया। सुरक्षा बलों को तैनात करने के बावजूद स्थिति बेकाबू हो गई, जब भीड़ ने आरएएफ के जवानों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, “भीड़ ने चुराचांदपुर थाने पर धावा बोलने की कोशिश की और प्रदर्शन के दौरान आरएएफ के जवानों पर पथराव किया।”
जिला पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया कि दोनों युवकों को “अचानक हिरासत में नहीं लिया गया था, बल्कि तोड़फोड़ वाली जगह से पूछताछ के लिए ले जाया गया था।” ड्यूटी मजिस्ट्रेट की सुनवाई के बाद दोनों को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद प्रदर्शन शांत हो गया।
मणिपुर की सांप्रदायिक हिंसा का संदर्भ
यह घटना मणिपुर में मई 2023 से जारी कुकी और मेइतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा के बीच हुई है। पीएम मोदी का यह दौरे राज्य में उनकी पहली यात्रा थी, जिसमें उन्होंने मणिपुर को “साहस और लचीलापन की भूमि” बताते हुए लोगों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा था, “मणिपुर के लोग शांति के प्रतीक हैं।” लेकिन दौरे के तुरंत बाद की यह घटना राज्य में तनाव की गहराई को उजागर करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि छोटी-छोटी घटनाएं भी सांप्रदायिक तनाव को भड़का सकती हैं। चुराचांदपुर, जो कुकी बहुल क्षेत्र है, पहले भी हिंसा का केंद्र रहा है। हालांकि, इस बार कोई बड़ी क्षति या चोट की खबर नहीं आई, लेकिन यह घटना केंद्र सरकार के शांति प्रयासों पर सवाल खड़े करती है।
आगे की चुनौतियां
मणिपुर सरकार और केंद्र को अब ऐसे विवादों को रोकने के लिए और सतर्क रहना होगा। पीएम के वादे के मुताबिक राज्य को शांति का प्रतीक बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बैनर फाड़ने जैसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए। फिलहाल, सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
यह घटना मणिपुर की जटिल राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को फिर से सामने लाती है। क्या पीएम का दौरा वाकई शांति की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, या यह सिर्फ एक अस्थायी विराम है? समय ही बताएगा।