Breaking News: Visa Fees: अमेरिका ने बढ़ाई H-1B वीजा फीस

By Dhanarekha | Updated: September 20, 2025 • 4:13 PM

भारत में राजनीतिक घमासान

नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा H-1B वीजा की फीस(Visa Fees) में भारी बढ़ोतरी के बाद भारत में राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत H-1B वीजा के लिए आवेदन शुल्क एक लाख डॉलर (लगभग ₹88 लाख) कर दिया गया है। पहले यह फीस ₹1 लाख से ₹6 लाख तक थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) पर निशाना साधा और कहा कि भारत के पास एक “कमजोर प्रधानमंत्री” है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि “मोदी-मोदी का नारा लगवाना विदेश नीति नहीं है।” कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय होंगे, क्योंकि 70% H-1B वीजा धारक भारतीय ही हैं

H-1B वीजा: भारतीय पेशेवरों पर गहरा असर

इस नई फीस वृद्धि(Visa Fees) का सबसे बड़ा खामियाजा भारतीय पेशेवरों को भुगतना पड़ेगा। अमेरिका हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिनमें से बड़ी संख्या में भारतीय आईटी और टेक कर्मचारियों को मिलते हैं। पिछले साल 2024 में, 2,07,000 भारतीय H-1B वीजा धारक थे। इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों को अमेरिका भेजती हैं, लेकिन अब इतनी ऊंची फीस पर लोगों को भेजना उनके लिए आर्थिक रूप से कम फायदेमंद होगा। इससे मध्य-स्तर और एंट्री-स्तर के कर्मचारियों के लिए वीजा(Visa Fees) प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा, और कंपनियां नौकरियों को आउटसोर्स करने पर विचार कर सकती हैं, जिससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के अवसर कम हो जाएंगे।

ट्रम्प प्रशासन का तर्क और भविष्य की चुनौतियाँ

ट्रम्प प्रशासन के अनुसार, H-1B वीजा कार्यक्रम का सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया है। व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ ने कहा कि नई फीस यह सुनिश्चित करेगी कि केवल अत्यधिक कुशल विदेशी पेशेवर ही अमेरिका आएं, जिन्हें अमेरिकी कर्मचारियों से बदला नहीं जा सकता। ट्रम्प प्रशासन ने EB-1 और EB-2 वीजा(Visa Fees) की जगह “गोल्ड कार्ड” पेश करने की भी योजना बनाई है। इस फैसले से भारतीय प्रतिभा अब अमेरिका के बजाय यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व जैसे अन्य देशों का रुख कर सकती है, जिससे भारत के लिए अपनी प्रतिभा को अमेरिका में भेजने का पारंपरिक रास्ता प्रभावित होगा।

H-1B वीजा क्या है और इसमें क्या बदलाव किया गया है?

H-1B वीजा(Visa Fees) एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो आमतौर पर आईटी, इंजीनियरिंग, और स्वास्थ्य जैसे विशिष्ट तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए जारी किया जाता है। पहले, इस वीजा(Visa Fees) की आवेदन फीस ₹1 लाख से ₹6 लाख तक थी, लेकिन अब ट्रम्प प्रशासन के नए आदेश के बाद यह बढ़कर एक लाख डॉलर (लगभग ₹88 लाख) हो गई है।

इस फैसले से भारतीय पेशेवरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यह फैसला भारतीय पेशेवरों पर गंभीर प्रभाव डालेगा क्योंकि 70% H-1B वीजा(Visa Fees) धारक भारतीय हैं। इस भारी फीस वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजना बहुत महंगा हो जाएगा। इससे मध्यम और एंट्री-लेवल के कर्मचारियों को वीजा(Visa Fees) मिलना मुश्किल हो जाएगा, और भारतीय कंपनियां अपनी नौकरियों को अमेरिका के बाहर ही रखने पर विचार कर सकती हैं, जिससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के रोजगार के अवसर कम होंगे।

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