Volkswagen Germany: दुनिया की जानी-मानी ऑटो कंपनी फॉक्सवैगन ने बड़ा घोषणा किया है।
कंपनी 2030 तक जर्मनी में 35,000 कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है।
यह कदम संगठन की खर्च घटाने की रणनीति का भाग है।
अमेरिकी टैरिफ और उत्पादन लागत बनी चुनौती
फॉक्सवैगन पर अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क और जर्मनी (Germany) में बढ़ती लेबर कॉस्ट का प्रभाव पड़ा है।
इन्हीं कारणों से कंपनी को लागत में कटौती करने के लिए विवश होना पड़ा।
कंपनी का लक्ष्य हर साल करीब 1.5 बिलियन यूरो की सेविंग करना है।
वॉलेंट्री रिटायरमेंट और सेवरेंस पैकेज का विकल्प
कंपनी उन कर्मचारियों को वॉलेंट्री रिटायरमेंट का विकल्प दे रही है जो खुद से पद छोड़ना चाहते हैं।
20,000 से अधिक कर्मचारी पहले ही इसके लिए तैयार हो चुके हैं।
छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों को सेवरेंस पैकेज दिया जाएगा, जिसकी राशि $400,000 तक हो सकती है।
यह राशि कर्मचारी की नौकरी की अवधि पर निर्भर होगी।
ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी कटौती
फॉक्सवैगन 2026 से अपने ट्रेनी कर्मचारियों की संख्या 1,400 से घटाकर 600 करने जा रही है।
यह कदम भी खर्च में कटौती का भाग है।
कंपनी का मानना है कि इससे लेबर कॉस्ट में कमी आएगी और दक्षता बढ़ेगी।
वेतन वृद्धि पर भी रोक
फॉक्सवैगन ने अपने 1.3 लाख कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोक दी है।
पहले से निर्धारित 5% वेतन वृद्धि को कंपनी फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
हालांकि, कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि वह कोई भी फैक्ट्री बंद नहीं करेगी।
कंपनी की योजना और ट्रेड यूनियन की प्रतिक्रिया
कंपनी चाहती है कि उसके ये कदम जर्मनी में उत्पादन को प्रतिस्पर्धी बनाए रखें।
ट्रेड यूनियन और लीडर्स को स्थिर रखने के लिए फैक्ट्री बंद करने से बचा गया है।
इन सुधारों से कंपनी की स्थिति आने वाले वर्षों में दृढ़ होने की संभावना है।