Wakf Law Murshidabad: ‘आंखें नहीं मूंद सकते’, किस बात पर कोर्ट ने जताई नाराजगी; 

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 बीते दिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंसा से प्रभावित मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था। वक्फ कानून के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान जिले के कई इलाकों में हिंसा हुई। 

कोलकाता कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में हुई तोड़फोड़ की खबरों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती का आदेश दिया। मुर्शिदाबाद जिले में कथित तौर पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी हिंसक घटनाएं हुई हैं।

पहले जानते हैं कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने कहा कि यह निर्देश केवल मुर्शिदाबाद जिले तक सीमित नहीं रहेगा। आवश्यकतानुसार इसे ऐसी ही स्थिति का सामना करने वाले अन्य जिलों में भी लागू किया जाना चाहिए। स्थिति को नियंत्रित करने और सामान्य हालात बहाल करने के लिए तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती की जा सकती है। 

न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हम विभिन्न रिपोर्टों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जो प्रथम दृष्टया पश्चिम बंगाल राज्य के कुछ जिलों में हुई तोड़फोड़ को दर्शाती हैं। 

अब जानिए कहां हुई हिंसा और कितना हुआ नुकसान?

कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि मुर्शिदाबाद के अलावा दक्षिण 24 परगना जिले के अमतला, उत्तर 24 परगना जिले और हुगली के चंपदानी में भी घटनाएं हुई हैं। बता दें कि मुर्शिदाबाद में हुई झड़पों में कम से कम तीन लोग मारे गए और हिंसा के सिलसिले में 138 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मालदा से भी हिंसा की खबरें आईं। हिंसा के दौरान पुलिस वैन समेत कई वाहनों में आग लगा दी गई। सुरक्षा बलों पर पत्थर भी फेंके गए और सड़कें जाम कर दी गईं। पुलिस इन सभी जिलों में छापेमारी कर रही है।

जस्टिस राजा बसु चौधरी ने की तल्ख टिप्पणी

पीठ में न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी भी शामिल थे, जिन्होंने कहा, ‘संवैधानिक न्यायालय मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते और जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो तो तकनीकी बचाव में उलझे नहीं रह सकते।’ कोर्ट ने कहा, ‘केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले से तैनाती से स्थिति में सुधार हो सकता था, क्योंकि ऐसा लगता है कि समय रहते पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।’ 

कोर्ट ने और क्या कहा?

पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्रीय बल राज्य प्रशासन के साथ सहयोग के साथ काम करेंगे। स्थिति को गंभीर और संवेदनशील मानते हुए कोर्ट ने कहा कि निर्दोष नागरिकों पर किए गए अत्याचारों को रोकने के लिए युद्धस्तर पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत का कर्तव्य नागरिकों की रक्षा करना है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का अधिकार है। यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक का जीवन और संपत्ति सुरक्षित रहे।

पीठ ने कहा, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में समुदायों के बीच हिंसा की घटनाएं लगातार होती रही हैं और आज तक व्याप्त अशांत स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ अदालत ने राज्य सरकार को स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।

क्यों पड़ी केंद्रीय बलों की तैनाती जरूरत?

  • ममता बनर्जी की सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित सूती, धुलियान और समसेरगंज इलाकों में बीएसएफ की छह कंपनियां तैनात की गई हैं। हालांकि, शुभेंदु के वकील ने आरोप लगाया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ कर्मियों को ठीक से तैनात नहीं किया जा रहा है।
  • भाजपा नेता के वकील सौम्य मजूमदार ने कहा कि अशांति का केंद्र मुर्शिदाबाद का सीमावर्ती जिला है और वहां से यह राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गया। वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया गया। याचिकाकर्ता ने मुर्शिदाबाद में हिंसा और आगजनी की घटनाओं की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से जांच कराए जाने की भी मांग की।
  • इस पर राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने अदालत से कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। राज्य पुलिस इससे निपट रही है। उन्होंने आगे दावा किया कि याचिका राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि इसे शुभेंदु और विपक्षी भाजपा से जुड़े एक अन्य व्यक्ति ने दायर किया है।
  • तमाम दलीलों को देखते हुए कोर्ट ने हालात को संवेदनशील माना और हिंसा प्रभावित इलाके में केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया।

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