संसद के दोनों सदनों से वक्फ विधेयक, 2025 पारित हो गया है। बीजेपी और एनडीए के मददगार दलों ने इस प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया, जबकि कांग्रेस समेत कई प्रतिपक्षी दलों ने इसके प्रतिकूल मतदान किया।इस विधेयक में वक्फ बोर्ड में स्पष्टता बढ़ाने जैसे कई अहम प्रावधान सम्मिलित किए गए हैं।
बुधवार देर रात लोकसभा में यह प्रस्ताव पारित हुआ, जिसके बाद गुरुवार को राज्यसभा ने भी इसे अनुमत दे दी। इस बिल के पास होने के बाद कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसकी संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि पार्टी संविधान के मूल सिद्धांतों और प्रथाएं पर मोदी सरकार के हर हमले का प्रतिपक्ष जारी रखेगी। कांग्रेस का कहना है कि यह विधेयक अल्पमत समुदाय के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे न्यायपूर्ण समीक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया जाएगा।
जयराम रमेश: कांग्रेस ने वक्फ संशोधन समेत कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
कांग्रेस ने वक्फ विधेयक, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में संघर्ष देने का ऐलान किया है। इसके अलावा, पार्टी पहले से ही कई अन्य कानूनों को अदालत में परीक्षा दे चुकी है।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि नागरिकता अधिनियम (CAA) 2019 पर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है , जिसे कांग्रेस ने परीक्षा दी थी। इसके अलावा, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों पर भी कांग्रेस ने संकट जताई थी, जिसकी ज़ाब्तगी पर अदालत में बहस जारी है।

जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने निर्वाचन संचालन नियम (2024) में परिवर्तन को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट का द्वार खटखटाया है। साथ ही, उपासना स्थान अधिनियम, 1991 की मूल भावना को बनाए रखने के लिए दायर अर्जी पर भी न्यायालय में सुनवाई हो रही है।कांग्रेस का कहना है कि वह संविधान की मूल भावना को बनाए रखने और केंद्र सरकार के कथित जनविरोधी आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखेगी।