WB : शर्मिष्ठा को हाई कोर्ट ने नहीं दी राहत, कहा – दूसरों की भावनाओं का रखना चाहिए ध्यान

By Ankit Jaiswal | Updated: June 3, 2025 • 3:31 PM

बोलने की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं : हाई कोर्ट

सोशल मीडिया पर अपनी टिप्पणियों के जरिए कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार पुणे की लॉ छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। कोर्ट ने पांच जून को अगली सुनवाई में राज्य सरकार को केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया। कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली ने ट्रायल कोर्ट की ओर पारित रिमांड आदेश के चुनौती देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने कहा कि ऐसा हमने सुना है कि वीडियो सोशल मीडिया पर बनाया गया था। हमारे पास बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं।

अन्य सभी मुकदमों पर कार्यवाही पर अगले आदेश तक रोक : हाई कोर्ट

न्यायाधीश ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से भरा है और यहां सभी लोग अलग-अलग जाति और धर्म से हैं। हमें यह कहते हुए सावधान रहना चाहिए। पीठ ने निर्देश दिया कि गार्डन रीच पुलिस थाने के पनोली के गिरफ्तारी से जुड़े मामले की जांच की जाएगी। अन्य सभी मुकदमों पर कार्यवाही पर अगले आदेश तक रोक रहेगी। राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि पनोली की कथित कार्रवाई पर आगे कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई पांच जून के लिए तय की।

हाई कोर्ट से अधिवक्ता ने की जमानत की मांग

सुनवाई के दौरान शर्मिष्ठा के वकील ने कहा कि उसकी गिरफ्तारी अवैध थी। क्योंकि एफआईआर में बताए गए सभी अपराध गैर संज्ञेय थे। उनको गिरफ्तारी से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया। जबकि यह नए कानून के तहत जरूरी है। वकील ने दावा किया कि पनोली के परिवार ने भी पुलिस में शिकायत की थी कि वह खतरे में है और कथित आपत्तिजनक पोस्ट को 7 मई की रात को पोस्ट करने के बाद 8 मई को सोशल मीडिया से हटा दिया गया था। उन्होंने पनोली के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की प्रार्थना की तथा उन्हें जमानत देने की मांग की।

कानूनी नोटिस देने के कई प्रयास रहे विफल

इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि नोटिस जारी किया गया था, लेकिन पनोली और उनका परिवार गुरुग्राम भाग गया था। इस वजह से कानूनी नोटिस देने के कई प्रयास विफल रहे। इसके बाद एक अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया, जिसके आधार पर उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। मामले की उचित जांच की गई और इस बाबत कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

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