Uttarakhand : 2015 से 2024 तक 4654 लैंडस्लाइड, 67 बार फटे बादल

By Anuj Kumar | Updated: August 9, 2025 • 11:39 AM

देहरादून,। हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं (Natural disasters) का खतरा हमेशा बना रहता है। आए दिन भूस्खलन, बादल फटना, एवलांच, बिजली गिरना, आंधी तूफान जैसे घटनाएं होती हैं। बीते कुछ सालों से उत्तराखंड भी ऐसी ही आपदाओं से जूझ रहा है। भले ही उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता हो लेकिन यहां स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है।

मानसूनी बारिश में हर पल यहां संकट मंडराता रहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटनाओं के आंकड़ों को आपदा प्रबंधन विभाग तैयार करता है। विभाग के 2015 से लेकर 2024 तक के आंकड़ों को देखें तो पूरे प्रदेश में इन सालों में तकरीबन 4654 भूस्खलन, एवलांच की 92, बिजली गिरने की 259, बादल फटने की 67, तेज़बारिश (Heavy Rain) और बाढ़ की तकरीबन 12758 घटनाएं हुई हैं। इन आकंड़ों से पता चलता है कि उत्तराखंड आपदा ग्रसित राज्य है। यही नहीं बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं 13 जिलों में से पौड़ी में सबसे ज्यादा हुई हैं।

2015 से लेकर 2024 तक तकरीबन 1525 घटनाएं हुई

वहीं उत्तरकाशी में 2015 से लेकर 2024 तक तकरीबन 1525 घटनाएं हुई, जिसमें लैंडस्लाइड से लेकर बाढ़, एवलांच, ओलावृष्टि, बादल फटना, जंगल में आग की घटनाएं भी शामिल हैं। आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तराखंड में 2015-2024 के दशक में प्राकृतिक आपदाओं से कुल मिलाकर करीब 1100 लोगों की मौत हुई है। इसमें भूस्खलन सबसे बड़ा कारक है, जबकि बाढ़ और अतिवृष्टि और बादल फटना अन्य प्रमुख कारण हैं। सिर्फ लैंडस्लाइड से तकरीबन 319 लोगों ने अपनी जान गंवाई।

मलबे से बचने के लिए लोगों इधर-उधऱ भागते नज़र आए

पौड़ी जिले के क्षेत्रों में सबसे ज्यादा भूस्खलन और बादल फटने (Cloud Burst) जैसी घटनाओं हुई हैं। बीते 10 सालों के आंकड़ों को देखें तो पौड़ी में सिर्फ भूस्खलन की तकरीबन 2040 घटनाएं हुई। पिथौरागढ़ में 1426, टिहरी में 279, चमोली में 258 और चंपावत 173, उत्तरकाशी में 80, रुद्रप्रयाग में 48, अल्मोड़ा में 30 घटनाएं दर्ज़ हुईं।

बता दें हर साल ये सिलसिला यूं ही चलता रहता है। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि नेचुरल डिजास्टर के इम्पैक्ट को कम करने के लिए काम किया जा रहा है। जहां-जहां अक्सर भूस्खलन की समस्याएं आती हैं, वहां इसे रोकने के लिए काम ट्रीटमेंट किया जा रहा है। इसके अलावा, विभाग द्वारा इन सभी प्राकृतिक आपदाओं पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है, जिसकी मदद से उनका अध्ययन किया जाता है। बता दें 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली औऱ हर्षिल में आई आपदा ने लोगों को झकझोर दिया है। पानी के साथ आए मलबे से बचने के लिए लोगों इधर-उधऱ भागते नज़र आए, जिनकी वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है


उत्तराखंड में भूस्खलन का इतिहास क्या है?

उत्तराखंड में भूस्खलन से बांधों का निर्माण 29,000 से 19,000 साल पहले के अंतिम हिमनद अधिकतम (एलजीएम) काल से जुड़ा है। 19वीं शताब्दी से ही भूस्खलन से बांध बनाने की महत्वपूर्ण घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय 1970 में गोहना झील का टूटना है, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव रहे।

उत्तराखंड राज्य भूकंप में कौन सी बड़ी आपदा आई?

1991 उत्तरकाशी भूकंप 1991 उत्तरकाशी भूकंप (जिसे गढ़वाल भूकंप के रूप में भी जाना जाता है) 20 अक्टूबर को 02:53:16 भारतीय मानक समय (UTC+05:30) पर 6.8 की तीव्रता और IX (हिंसक) की अधिकतम मर्काली तीव्रता के साथ आया था।

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