Latest Hindi News : QBO-क्यूबीओ में बदलाव से मौसम पर असर, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

By Anuj Kumar | Updated: December 9, 2025 • 11:34 AM

नई दिल्ली। दुनिया भर में कहीं ज्वालामुखी फट रहे हैं, कहीं चक्रवाती तूफान (Cyclonic storm) से भीषण बाढ़ आ रही है, धरती कांप रही है और सूरज आग बरसा रहा है। इन घटनाओं के पीछे एक बड़ा वैश्विक मौसमीय असंतुलन काम कर रहा है—क्यूबीओ (क्वासी-बॉयएनियल ऑसिलेशन) का अचानक टूटना।

क्यूबीओ क्या है और इसका टूटना कितना खतरनाक?

क्यूबीओ पृथ्वी से 20 से 30 किलोमीटर ऊपर बहने वाली हवाओं की एक प्रणाली है, जो हर 28 से 30 महीने में अपनी दिशा बदलती है। लेकिन इस बार यह बदलाव निर्धारित समय से दो से तीन महीने पहले, नवंबर 2025 में ही हो गया, जबकि यह आमतौर पर जनवरी-फरवरी में होता है।
एनओएए (NOAA) के आंकड़ों के अनुसार, ऊपरी हवाएं पश्चिम से पूर्व की दिशा में असामान्य तेजी से उलट रही हैं। वैज्ञानिक इस घटना को मौसम की “मशीन का रिवर्स गियर” मान रहे हैं—एक ऐसी स्थिति जहां नियंत्रण किसी के हाथ में नहीं है।

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तूफान, नमी और चरम मौसम पर सीधा प्रभाव

क्यूबीओ का टूटना तूफानों को अनियमित करता है, नमी को गलत स्थानों पर जमा करता है और चरम मौसमी घटनाओं को क्लस्टर में लाता है। परिणामस्वरूप भूमंडलीय मौसम प्रणाली अस्थिर हो जाती है और चरम घटनाएँ एक साथ और बार-बार दिखाई देने लगती हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित, भारत पर खतरा

इसका सबसे बड़ा असर हिंद महासागर क्षेत्र पर देखा जाएगा, जहां भारत स्थित है। दक्षिण-पूर्व एशिया—वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया—इस समय भयंकर बाढ़ और तूफानों से जूझ रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 15 से 30 दिनों में ऐसे ही हालात भारत में बन सकते हैं। अगले 12 महीने भारत के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बताए जा रहे हैं।

2025-26भारत में रिकॉर्डतोड़ बारिश, चक्रवात और सर्दी

2025 का उत्तर-पूर्वी मॉनसून सामान्य से 20–30 प्रतिशत अधिक बारिश ला सकता है। बंगाल की खाड़ी में तीन तक शक्तिशाली चक्रवात बनने की आशंका है, जिससे चेन्नई, कोचीन, विशाखापट्टनम और ओडिशा के तटीय शहरों में भीषण बाढ़ आ सकती है।सर्दी का मौसम भी अनियमित रहेगा—दिसंबर-जनवरी में कड़ाके की ठंड और फरवरी में तापमान में अचानक 5–7 डिग्री की वृद्धि संभव है।
उत्तर भारत में 10–15 दिन घना कोहरा छाया रह सकता है, जबकि हिमालयी राज्यों में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन का खतरा कई गुना बढ़ेगा।

2026 की गर्मी बना सकती है नया रिकॉर्ड

मध्य भारत—महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश—में तापमान 48–50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। 15–20 दिनों तक भीषण लू चलने की संभावना है, जिससे गर्मी से होने वाली मौतों में तेज बढ़ोतरी होने की आशंका है।

मॉनसून पर डोमिनो असर: बाढ़ भी, सूखा भी

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देर से आएगा और असमान रूप से वितरित होगा।
कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कुछ में सूखे जैसी स्थिति बन सकती है।

कृषि पर भारी मार, पैदावार 20–40% घटने का खतरा

कृषि क्षेत्र पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। गेहूं और चावल की पैदावार 20–40 प्रतिशत तक घट सकती है। फूल कम लगेंगे, बुआई में देरी होगी और बाढ़ फसलों को नुकसान पहुंचाएगी।
इससे खाद्य महंगाई बढ़ सकती है और जीडीपी में 0.5–1% तक की गिरावट संभव है।

आने वाला समय ‘कंपाउंड एक्सट्रीम वेदर’ का

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में “कंपाउंड एक्सट्रीम वेदर”—यानी कई मौसमीय आपदाएँ एक साथ—देखने को मिल सकती हैं। यह स्थिति वैश्विक मौसम असंतुलन को नए और खतरनाक स्तर पर ले जा सकती है।

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