Weather : इस बार ला-नीना से भारत में पड़ेगी जोरदार सर्दी!

By Anuj Kumar | Updated: August 31, 2025 • 10:51 AM

नई दिल्ली,। इस साल मानसून (Monsoon) पूरे देश पर मेहरबान नजर आ रहा है। बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal )और अरब सागर में लगातार नए सिस्टम बनने से पूरे सीजन में मानसून मजबूत बना रहा। नतीजतन, उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक सभी हिस्सों में अच्छी और जोरदार बारिश हुई है।

मानसून की ताकत का कारण : ला-नीना

मौसम विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार मानसून की मजबूती के पीछे अहम वजह प्रशांत महासागर क्षेत्र में एल-नीनो के बजाय ला-नीना का सक्रिय होना है। यही जलवायु पैटर्न आने वाली सर्दियों पर भी गहरा असर डालेगा।

वैज्ञानिकों का पूर्वानुमान

अमेरिकी एजेंसी के पूर्वानुमान के मुताबिक सितंबर से नवंबर के बीच ला-नीना बनने की संभावना करीब 53% है, जबकि साल के अंत तक यह संभावना 58% तक जा सकती है। सक्रिय होने पर यह स्थिति सर्दियों के ज्यादातर समय और शुरुआती वसंत तक असर डाल सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार सक्रिय होने वाला ला-नीना अपेक्षाकृत कमजोर रहेगा, लेकिन इसके चलते सर्दियों का रुख कड़ा रह सकता है।

क्या है ला-नीना और एल-नीनो?

ला-नीना एक प्राकृतिक जलवायु प्रणाली है, जिसमें प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) का सतही जल सामान्य से ठंडा हो जाता है। इसका सीधा असर ऊपरी वायुमंडलीय पैटर्न और वैश्विक मौसम पर पड़ता है।
इसके विपरीत, एल-नीनो के दौरान समुद्र का पानी सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है। दोनों ही परिस्थितियां उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों में सबसे ज्यादा असर डालती हैं।

भारत पर असर: जोरदार बारिश और ठंडी सर्दियां

आमतौर पर ला-नीना भारत में सामान्य या उससे ज्यादा मानसून लाता है और इसके चलते कड़ाके की ठंड भी पड़ती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बार भी भारत और एशिया के कई हिस्सों में भारी बारिश और जबरदस्त सर्दी देखने को मिलेगी।

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर प्रभाव

ला-नीना के असर हर जगह अलग-अलग दिखाई देते हैं।

पिछले दशक का अनुभव

2020 से 2022 तक लगातार तीन साल ला-नीना सक्रिय रहा, जिसे “ट्रिपल डिप ला-नीना” कहा गया। इसके बाद 2023 में एल-नीनो ने दस्तक दी।
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते एल-नीनो और ला-नीना जैसी घटनाएं अब पहले से ज्यादा बार और ज्यादा तीव्रता से सामने आ सकती हैं।

भारत में कड़ाके की ठंड की पूरी संभावना

मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस बार भारत में जोरदार सर्दी पड़ने की पूरी संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों ने लोगों को पहले से तैयार रहने की सलाह दी है

ला नीनो क्या होता है?

अल नीनो प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय क्षेत्र में समुद्र की सतह के पानी के असामान्य रूप से गर्म होने की एक प्राकृतिक घटना है, जो हर कुछ वर्षों में होती है। इस स्थिति में, सामान्य व्यापारिक हवाएँ कमज़ोर पड़ जाती हैं या पश्चिम से पूर्व की ओर बहने लगती हैं। अल नीनो का प्रभाव दुनिया भर में मौसम के पैटर्न को बदल देता है, जैसे कि दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश, और एशिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत में सूखे की स्थिति पैदा करता है। 


ला नीना कब आता है?

ला नीना वर्ष की सर्दियों में, ये हवाएँ सामान्य से कहीं ज़्यादा तेज़ होती हैं। इससे भूमध्य रेखा के पास प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से कुछ डिग्री ज़्यादा ठंडा हो जाता है। महासागर के तापमान में यह छोटा सा बदलाव भी दुनिया भर के मौसम को प्रभावित कर सकता है। वर्षा के बादल आमतौर पर गर्म समुद्री जल पर बनते हैं।

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