अगर आपके बच्चे को भी उसके स्कूल में मिड-डे मील मिलता है और आप इस मील के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल में पढ़ सकते हैं कि सरकार ने मिड-डे मील को लेकर क्या नियम बनाए हैं और देश के सबसे महंगे स्कूल में बच्चों को खाने में क्या मिलता है।
महंगे स्कूल
उच्च शिक्षा संस्थानों में बच्चों की डाइट का महत्व
देश के सबसे महंगे स्कूलों में बच्चों को केवल शिक्षा पर ही ध्यान नहीं दिया जाता, बल्कि उनकी सेहत और खानपान का भी खास ख्याल रखा जाता है। इन स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक और संतुलित आहार दिया जाता है, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो सके।
पोषक तत्वों से भरपूर आहार
नाश्ता और लंच का संतुलित भोजन
इन स्कूलों में बच्चों को न केवल नाश्ता, बल्कि लंच भी दिया जाता है, जो पोषण से भरपूर होता है। इसके माध्यम से बच्चों की डाइट और सेहत का ध्यान रखा जाता है।
संतुलित आहार का ध्यान
डाइट प्लान तैयार करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह
इस स्कूल में बच्चों को संतुलित आहार देने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट की मदद ली जाती है। ये आहार बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं।
जंक फूड से दूरी
बच्चों को स्वस्थ भोजन की प्राथमिकता
यहां बच्चों को जंक फूड से पूरी तरह से दूर रखा जाता है। किसी भी तरह की हानिकारक चीजें उन्हें नहीं दी जातीं, ताकि उनकी सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
मिड-डे मील का महत्व और खर्च
मिड-डे मील योजना
सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत, बच्चों को स्कूल में पोषक तत्वों से भरपूर खाना दिया जाता है। PIB.gov के अनुसार, इस योजना में बच्चों के लिए भोजन की लागत हर साल संशोधित की जाती है, ताकि बच्चों को अच्छा और पौष्टिक भोजन मिल सके।
मिड-डे मील पर होने वाला खर्च
मिड-डे मील का खर्च
1 अप्रैल 2010 से हर साल मिड-डे मील के खर्च को संशोधित किया गया है। 1 जुलाई 2016 से, यह खर्च 7% बढ़ा दिया गया था, जिससे प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए ₹4.13 प्रति बच्चा प्रति दिन और उच्च प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए ₹6.18 प्रति बच्चा प्रति दिन हो गया।