Stray Dogs का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट में चली 10 बड़ी दलीलें

By Vinay | Updated: August 22, 2025 • 1:18 PM

दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) की सड़कों पर आवारा कुत्तों (Stray Dogs) का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट में चली 10 बड़ी दलीलें का मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 11 अगस्त 2025 को सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों में शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद देशभर में तीखी बहस छिड़ गई

14 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की तीन जजों की विशेष बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रखा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गजों ने कोर्ट में जोरदार दलीलें पेश कीं। यह मुद्दा सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन की मांग करता है। आखिर क्या हैं सुप्रीम कोर्ट में पेश की गईं 10 प्रमुख दलीलें, और आवारा कुत्तों का भविष्य क्या होगा? आइए, जानते

क्या हैं दस दलीलें ?


1. रेबीज़ और डॉग बाइट्स की गंभीरता: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी कि 2024 में देशभर में 37 लाख डॉग बाइट्स दर्ज हुए, जिनमें 305 रेबीज़ से मौतें हुईं। दिल्ली में ही 26,334 मामले सामने आए। उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों पर हमलों को “सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट” बताया।

2. बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता: मेहता ने कहा कि बच्चे रेबीज़ का सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। “कोई भी पशु विरोधी नहीं है, लेकिन बच्चे खुले में खेल नहीं पा रहे। कोर्ट को मूक पीड़ितों की आवाज सुननी होगी।”

3. शेल्टर की कमी: कपिल सिब्बल ने एक एनजीओ की ओर से तर्क दिया कि दिल्ली-एनसीआर में पर्याप्त शेल्टर नहीं हैं। “10 लाख आवारा कुत्तों के लिए 2000 शेल्टर चाहिए, लेकिन MCD के पास केवल 20 स्टेरलाइजेशन सेंटर हैं, जिनकी क्षमता 2500 कुत्तों की है।”

4. आदेश का अव्यवहारिक होना: सिब्बल ने 11 अगस्त के आदेश पर स्टे की मांग की, यह कहते हुए कि बिना बुनियादी ढांचे के कुत्तों को पकड़ना और शेल्टर में रखना अव्यवहारिक है। “पैसे की बर्बादी होगी और कुत्तों को नुकसान पहुंचेगा।

5. पशु कल्याण की चिंता: पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने दलील दी कि शेल्टर में भीड़भाड़ और खराब प्रबंधन से कुत्तों की मौत हो सकती है। PETA इंडिया ने कहा, “कुत्तों का जबरन विस्थापन न तो वैज्ञानिक है और न ही प्रभावी।”

6. एबीसी नियमों का उल्लंघन: सिब्बल ने तर्क दिया कि 2023 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम कुत्तों को उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ने की बात कहते हैं। “सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन नियमों के खिलाफ है।

7. स्थानीय निकायों की निष्क्रियता: कोर्ट ने टिप्पणी की कि स्थानीय निकाय अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “सारी समस्या स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से है।”

8. मानव अधिकार बनाम पशु अधिकार: कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने तर्क दिया कि मानव का स्वतंत्रता से चलने और सुरक्षित जीवन का अधिकार (अनुच्छेद 19 और 21) कुत्तों के सड़कों पर घूमने के अधिकार से ऊपर है।

9. स्टेरलाइजेशन की विफलता: मेहता ने कहा कि स्टेरलाइजेशन और टीकाकरण रेबीज़ या कुत्तों के हमले को पूरी तरह रोक नहीं सकते। “यह समाधान अधूरा है।” वहीं, कार्यकर्ताओं ने कहा कि स्टेरलाइजेशन प्रोग्राम को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।

10. शेल्टर में मानवीय व्यवहार: कोर्ट ने 11 अगस्त को आदेश दिया कि शेल्टर में कुत्तों के साथ क्रूरता नहीं होनी चाहिए। पर्याप्त भोजन, वैक्सीनेशन, और पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के साथ-साथ भीड़भाड़ रोकने का निर्देश दिया गया।


सुप्रीम कोर्ट का यह मामला सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच एक जटिल संतुलन की मांग करता है। 10 लाख आवारा कुत्तों को शेल्टर में स्थानांतरित करना एक विशाल चुनौती है, खासकर जब बुनियादी ढांचा और फंडिंग की कमी हो। क्या यह आदेश सड़कों को सुरक्षित बनाएगा, या कुत्तों के लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगा? यह एक अनसुलझी पहेली है, जिसका जवाब कोर्ट का अंतिम फैसला और उसका कार्यान्वयन देगा। फिलहाल, दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों का भविष्य अधर में लटका है, और देशभर की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं।

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