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Bhavareshwar Mahadev : इस मंदिर के चौखट पर औरंगजेब ने क्यों मांगी थी माफी?

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Bhavareshwar Mahadev : इस मंदिर के चौखट पर औरंगजेब ने क्यों मांगी थी माफी?

कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) एक बार भवरेश्वर (Bhavareshwar) महादेव मंदिर को लूटने आया था. इस दौरान उसने मंदिर में मौजूद शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, तभी अचानक लाखों भंवरों ने मुगल सेना पर हमला कर दिया, जिसके बाद औरंगजेब को यहां से भागना पड़ा।

उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले की सीमा पर भवरेश्वर (Bhavareshwar) महादेव मंदिर है. मंदिर मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र के निगोहां में सई नदी के किनारे पर स्थित है. यह मंदिर लखनऊ, रायबरेली और उन्नाव जिले की सीमाओं के संगम पर है, जहां दर्शन के लिए पूरे प्रदेश सहित, एमपी व बिहार तक के बहुत सारे श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि यहां भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है. सावन के महीने में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है, जिसको देखते हुए मंदिर में सावन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

मंदिर Bhavareshwarसे जुड़ी पौराणिक मान्यता मुताबिक, द्वापर युग में पांडव अपनी माता कुंती के साथ अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे. उन्होंने ही इस मंदिर की स्थापना की थी. कहा जाता है कि माता कुंती शिव पूजा के बिना जल ग्रहण नहीं करती थीं. आसपास कोई शिव मंदिर न होने पर भीम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की. कालांतर में नदी की मिट्टी से शिवलिंग दब गया. सैकड़ों वर्ष पहले सुदौली रियासत के राजा के सपने से शिवलिंग की जानकारी मिली. इसके बाद राजा ने इसकी खुदाई करवाकर शिव मंदिर का निर्माण करवाया. यही मंदिर आगे चलकर भवरेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

क्या है औरंगजेब से जुड़ा सच?

कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब एक बार मंदिर को लूटने आया था. इस दौरान उसने मंदिर Bhavareshwar में मौजूद शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, तभी अचानक लाखों भंवरों ने मुगल सेना पर हमला कर दिया, जिसके बाद औरंगजेब को यहां से भागना पड़ा. इस घटना के बाद औरंगजेब ने अपनी गलती मानी और माफी मांगी।

अंग्रेजी हुकूमत भी हट गई थी पीछे

मुगलकाल के बाद अंग्रेजी हुकूमत ने भी मंदिर की प्राचीनता जानने के लिए मंदिर की खुदाई का प्रयास किया था, लेकिन जैसे ही खुदाई का काम शुरू हुआ, वैसे ही शिवलिंग के आसपास से हजारों भंवरे निकलकर खुदाई करने वालों पर हमला कर दिया. इसके बाद अंग्रेजी अफसरों को भी मंदिर से भागना पड़ा।

आगे चलकर सुदौली के राजा रामपाल की पत्नी श्रीमती गणेश साहिबा ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. इस घटना के बाद से मंदिर भवरेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हो गया. मंदिर के किनारे पर मौजूद सई नदी मंदिर की सोभा में चार चांद लगाती है।

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