MIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून मोदी सरकार की हिंदुत्व विचारधारा को आगे बढ़ाने की कोशिश है। जिससे मुसलमानों की पहचान मिटाई जा सके।
ThePrint को दिए एक इंटरव्यू में, हैदराबाद से लोकसभा सांसद ओवैसी ने कहा कि ये कानून नहीं, बल्कि एक तरीका है। जिससे मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियाँ छीनी जा रही हैं और उनके संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “देशभर की मुस्लिम संस्थाएँ इस कानून का विरोध कर रही हैं।”
हाल ही में संसद से पास हुए इस कानून के बाद पश्चिम बंगाल, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए। ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। जहाँ इस कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाएँ दायर की गई हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने हिंसा की निंदा की, लेकिन कहा कि शांतिपूर्ण विरोध जरूरी है।
“अगर आप हमें संसद में अपने बहुमत के दम पर दीवार से धक्का देंगे और एकतरफा कानून बनाएंगे, तो लोग सड़कों पर उतरेंगे।”
उन्होंने मालदा (मुर्शिदाबाद) की हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।जिसमें तीन लोगों की जान चली गई, और कहा कि हिंसा करने से बीजेपी को ही मदद मिलती है।
ओवैसी की मुख्य आपत्तियाँ:
- धार्मिक पहचान पर हमला:
उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान है कि सिर्फ वही व्यक्ति वक्फ संपत्ति दान कर सकता है जो पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो।
ओवैसी ने सवाल किया, “सरकार कैसे तय करेगी कि मैं इस्लाम का पालन कर रहा हूँ या नहीं? क्या हिन्दू, सिख या बौद्ध समुदाय के लिए भी ऐसा नियम है?” - निजता और अधिकार का उल्लंघन:
उन्होंने कहा कि Puttaswamy फैसले के बाद निजता मौलिक अधिकार बन चुकी है, ऐसे में ये कानून व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करता है। - महिलाओं पर सवाल:
उन्होंने पूछा कि “अगर कोई मुस्लिम महिला दान देना चाहती है तो सरकार कैसे तय करेगी कि वह धर्म का पालन कर रही है या नहीं?” - मोदी सरकार की नीयत पर सवाल:
असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के उस बयान की आलोचना की जिसमें कहा गया था कि “अगर वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग होता तो मुस्लिम युवाओं को पंचर नहीं बनाना पड़ता।”
उन्होंने पूछा – “पिछ ले 11 सालों में आपने मुसलमानों के लिए क्या किया?” - मॉब लिंचिंग और भेदभाव:
असदुद्दीन ओवैसी ने पहलू खान, अखलाक और ट्रेन में मारे गए मुस्लिम युवक की घटनाओं का हवाला दिया। और कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया गया। - शिक्षा में भेदभाव:
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों की स्कॉलरशिप कम कर दी।जबकि मुस्लिम बच्चों की ड्रॉपआउट दर सबसे ज्यादा है। - बीजेपी में मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं:
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप किसी एक पंचर बनाने वाले मुस्लिम को भी सांसद बना देते, तो बात बनती।” - वक्फ संपत्तियों पर खतरा:
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह कानून लागू हुआ तो मस्जिदों की पहचान पर सवाल उठेंगे।ASI के तहत आने वाली मस्जिदों में नमाज़ पर रोक लग सकती है। - स्टेकहोल्डर से बातचीत नहीं:
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि कानून बनाते समय मुस्लिम समुदाय से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। एक ऐसा संगठन बुलाया गया जिसके चार सदस्य आतंकवाद के मामलों में दोषी थे।