कालसर्प दोष को कम करते हैं भगवान शिव
सावन की शुरुआत हो गई है। सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को बहुत प्रिय है। सावन में कालसर्पदोष (Kalsarpdosha) के लिए विशेष पूजा करने से भगवान शिव इस दोष को कम करते हैं। कालसर्पदोष जब बनता है, जब कुंडली में समस्त ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। इस दोष के कारण जीवन में धन, करियर, हेल्थ और विवाह से जुड़ी कई परेशानियां आती है।
सावन में करे ये उपाय
जिनकी कुंडली में कालसर्प योग है, उन्हें पूरे सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक व पूजा अर्चना अवश्य करना चाहिए। रुद्राभिषेक के लिए किसी योग्य ब्रह्माण को बुलाएं। जिनकी कुंडली में चंद्र और राहु दोनों ठीक नहीं हैं, वह पूरे सावन माह महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक करें।

प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जप
इसके अलावा कालसर्प दोष से बचने के लिए सावन महीने में ही सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी, जिसे नागपंचमी कहते हैं, उस दिन तांबे का नाग-नागिन बनवाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से कालसर्प दोष से राहत मिलती है। प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से भी इस योग में लाभ देता है। इसके अलावा कालसर्प दोष के निवारण के लिए ज्योतिर्लिंग में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। काल सर्प दोष के निवारण के लिए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बहुत खास माना जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, काल सर्प दोष की पूजा के लिए यहां लाखों लोग आते हैं।
इस बार बन रहे 10 योग
आयुष्मान योग, प्रीति योग, सिद्ध योग, सौभाग्य योग, शोभन योग, सिद्धि योग, इंद्र योग, सुकर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग आदि का शुभ संयोग बन रहा है। इन योगों के प्रभाव से भक्तों को नौकरी, नया व्यापार, सुख समृद्धि आदि के मार्ग प्रशस्त होंगे। इस बार सावन के पहले सोमवार में धनिष्ठा नक्षत्र में आयुष्मान योग बन रहे हैं। इस साल सावन का पहला सोमवार भगवान शंकर और गणेश जी की पूजा के लिए खास है। सावन का पहला सोमवार होने के साथ इस दिन संकष्ठी गणेश चतुर्थी का भी योग है।
काल सर्प दोष कितनी उम्र तक रहता है?
काल सर्प दोष जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है और यह जीवनभर प्रभाव डाल सकता है। ज्योतिष में उपाय करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति कैसे पाएं?
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए ज्योतिष में राहु-केतु शांति पूजा, नागपंचमी पर नाग देवता को दूध चढ़ाना, महामृत्युंजय मंत्र जाप और कालसर्प योग शांति अनुष्ठान करना बताया गया है।
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