सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है इनकी तारीफ
ऑपरेशन सिंदूर से सुर्खियों में आईं कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनके संघर्ष और योगदान को सुप्रीम कोर्ट ने भी 2020 में स्थायी कमीशन पर फैसले के दौरान सराहा था, जिसमें महिलाओं को सिर्फ स्टाफ ड्यूटी तक सीमित रखना अनुचित बताया गया था।
कर्नल सोफिया कुरैशी ऑपरेशन सिंदूर के बाद से लगातार चर्चा में चल रहीं हैं। हालांकि भारतीय सेना में शुरुआत से लेकर अब तक कर्नल कुरैसी का सफर इतना आसान भी नहीं रहा है। उन्हें भारतीय सेना में पहली महिला होने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि कर्नल कुरैशी भारतीय सेना में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आईं। यही कारण है कि सेना के उनके संघर्ष और अतुल्य योगदान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी 2020 में भारतीय सेना में स्थायी कमीशन (पीसी) देने के अपने एक फैसले में कर्नल कुरेशी की तारीफ की थी।
- बता दें कि भारत की सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन (पीसी) देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में एक अहम फैसला सुनाया था।
- कोर्ट ने कहा था कि सेना में महिलाओं को केवल स्टाफ ड्यूटी तक सीमित रखना और उन्हें कमांड नियुक्तियों से वंचित करना कानून के अनुसार सही नहीं है।
- इस फैसले में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों के योगदान को भी सराहा था।
- कोर्ट ने 17 फरवरी 2020 को अपने फैसले में कहा था कि महिलाओं को केवल स्टाफ नियुक्तियों तक सीमित रखना सेना में करियर के अवसरों को पूरा नहीं करता है।
- इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं को कमांड पोस्टिंग से बाहर रखना बिना किसी ठोस कारण के उचित नहीं है।
कर्नल सोफिया कुरैशी की विशेष उपलब्धियां
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो भारतीय सेना के सिग्नल कोर में अधिकारी हैं, 2016 में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना के दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। यह अभ्यास भारत द्वारा आयोजित किया गया था और यह ASEAN देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिए आयोजित किया गया था।
- कर्नल कुरैशी ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भी भाग लिया, जहां उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और मानवीय सहायता प्रदान करना था।
- इसके अलावा, उन्होंने उत्तर-पूर्वी भारत में बाढ़ राहत अभियानों में भी हिस्सा लिया था।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि महिला अधिकारियों द्वारा देश की सेवा में किए गए योगदान को कमतर आंकना गलत है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि महिलाओं के जैविक और सामाजिक पहलुओं के आधार पर उनके कर्तव्यों और भूमिकाओं को कमतर मानना संविधान और समाज के मूल्यों के खिलाफ है।
- कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि महिला अधिकारियों की भूमिका को उनके पुरुष साथियों के समान सम्मान मिलना चाहिए।
- उन्होंने यह भी बताया कि महिला अधिकारी अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा कर रही हैं और उनके योगदान से भारतीय सेना को गर्व है।
जब भारतीय सेना में महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी कर्नल कुरैशी
गौरतलब है कि कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ था। उन्होंने 1997 में बायोकैमिस्ट्री में मास्टर डिग्री की और बाद में भारतीय सेना में सिग्नल कोर में अधिकारी के रूप में सेवा शुरू की। उनके कड़ी मेहनत और समर्पण की वजह से वह भारतीय सेना में महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। इस समय के दौरान, कर्नल कुरैशी ने न केवल भारतीय सेना को गर्व महसूस कराया बल्कि महिलाओं के लिए सेना में बराबरी के अवसर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
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