Zepto पर लगे कम सैलरी देने और ज्यादा काम लेने के आरोप, लेबर डिपार्टमेंट में पहुंचा मामला
देश की तेज़ी से उभरती डिलीवरी कंपनी Zepto एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला कर्मचारियों को कम वेतन देने और अत्यधिक कार्य का दबाव बनाने को लेकर सामने आया है।
हाल ही में Zepto के कुछ पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ Labour Department में शिकायत दर्ज करवाई है। उनका कहना है कि कंपनी लंबे समय तक काम करवाती है लेकिन वेतन बेहद कम देती है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।

क्या हैं आरोप?
- Low Salary: कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा किए गए कार्य के अनुपात में वेतन काफी कम है।
- High Workload: दिन में 12 घंटे तक की शिफ्ट और छुट्टी के दिन भी ड्यूटी का दबाव।
- कर्मचारी अधिकारों की अनदेखी: कई कर्मचारियों को पीएफ, ईएसआई जैसे बेसिक बेनिफिट्स भी नहीं मिलते।
- डेडलाइन का अत्यधिक दबाव: तय समय पर ऑर्डर डिलीवर करने का दबाव मानसिक तनाव का कारण बन रहा है।
लेबर डिपार्टमेंट की भूमिका
श्रम विभाग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि Zepto से जवाब मांगा गया है और यदि आरोप सही पाए गए तो कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
Zepto का बयान
Zepto की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया,
“हम सभी कर्मचारियों के हितों का सम्मान करते हैं और श्रम कानूनों का पालन करते हैं। किसी भी आरोप की जांच में हम पूरा सहयोग देंगे।”
स्टार्टअप कल्चर पर सवाल
यह मामला एक बार फिर Indian Startups की कार्य संस्कृति पर सवाल खड़े कर रहा है।
- क्या स्टार्टअप्स में काम के घंटे और वेतन में संतुलन है?
- क्या कर्मचारियों के अधिकारों की सही से रक्षा हो रही है?
- क्या कंपनियों पर उचित निगरानी हो रही है?

Zepto पर लगे ये आरोप न सिर्फ कंपनी की छवि पर असर डाल सकते हैं बल्कि अन्य स्टार्टअप्स के लिए भी चेतावनी साबित हो सकते हैं। कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा और Workplace Environment में सुधार के लिए कड़े कदम उठाना अब आवश्यक हो गया है।
यदि जांच में आरोप सही साबित होते हैं, तो Zepto को न सिर्फ मुआवज़ा देना पड़ सकता है बल्कि उसकी व्यावसायिक साख भी प्रभावित हो सकती है।