रांची में सीसीएल नौकरी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सीआईडी ने 29 मार्च 2025 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि टंडवा अंचल कार्यालय ने फर्जी वंशावली प्रमाण पत्र और भूमि दस्तावेज तैयार कर अवैध रूप से नौकरी और मुआवजा दिलाया। जांच में पाया गया कि एक संगठित गिरोह ने फर्जी कागजात का इस्तेमाल किया और सीसीएल अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की।
रांची। सीसीएल में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर 22 लोगों की नौकरी व मुआवजा लेने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सीआइडी ने चतरा के टंडवा थाने में 29 मार्च 2025 को दर्ज प्राथमिकी को टेकओवर करते हुए जांच शुरू कर दी है। यह प्राथमिकी चतरा के तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी वैभव कुमार सिंह ने दर्ज कराई थी। अब सीआइडी जालसाजों की कुंडली खंगालेगी। आरोप टंडवा के अंचल कार्यालय पर है।
इसपर सीसीएल पिपरवार क्षेत्र के लिए निर्गत वंशावली प्रमाण पत्र, भूमि सत्यापन एवं भूमि नक्शा में छेड़छाड़ कर अवैध तरीके से नियोजन व मुआवजा दिलाने का आरोप है।फर्जी सत्यापन रिपोर्ट से लेकर फर्जी मालिकाना हक संबंधित दस्तावेज तैयार कर आरोपितों ने सीसीएल से नौकरी व मुआवजे का लाभ लिया।
इसकी पुष्टि चतरा के सिमरिया के अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय टीम की जांच रिपोर्ट में हुई है।
एक संगठित गिरोह ने फर्जी दस्तावेज तैयार किया
रिपोर्ट में स्पष्ट है कि सीसीएल ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में विस्थापित होने वाले व्यक्तियों, उनके परिवारों को मुआवजा व नौकरी देने के लिए फर्जी कागजात को आधार बनाया।एक संगठित गिरोह ने फर्जी दस्तावेज तैयार किया। बनावटी हस्ताक्षर व रिपोर्ट का प्रयोग कर प्रशासन, सीसीएल व स्थानीय विस्थापित रैयतों के साथ धोखाधड़ी कर नौकरी व मुआवजा राशि प्राप्त की।संगठित गिरोह में सरकारी कर्मी-पदाधिकारी, सीसीएल के कुछ पदाधिकारी-कर्मी की संलिप्तता स्पष्ट रूप से जांच रिपोर्ट में प्रमाणित हुई है। अब सीआइडी के अनुसंधान में और मामले सामने आएंगे, संलिप्त आरोपितों की संख्या भी बढ़ेगी।
छह सदस्यीय टीम की जांच में जो सामने आए तथ्य
जालसाजी उजागर होने के बाद एसडीओ सिमरिया की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय जांच कमेटी ने भूमि सत्यापन से संबंधित संयुक्त जांच रिपोर्ट तैयार की थी।जांच में इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि जो सीसीएल के अधिग्रहण क्षेत्र से संबंधित नहीं थे, वैसे व्यक्तियों ने धोखाधड़ी से नौकरी प्राप्त की थी।इसमें अंचल कार्यालय टंडवा व सीसीएल के पिपरवार क्षेत्र के महाप्रबंधक ने फर्जी रैयतों का साथ दिया। जिन्हें फर्जी दस्तावेज के आधार पर सीसीएल में नौकरी मिली थी, उनमें सुरेन भुइया, सीमा भुइया, सरिता देवी, बुधन भुइयां, गोपी भुइयां, किशन भुइयां, पुनम कुमारी, मनोहर राम, करन भुइयां, अमित कुमार, विजय भुइयां, बिरेन कुमार भुइयां, कौलेश्वर कुमार, इस्माइल अंसारी, इब्राहिम, रिजवान, अनवर अंसारी, अफताब अंसारी, शगुफ्ता अंजुम, नुमान अंसारी, मोशीन कमल व खुर्शीद अंसल शामिल हैं।
फंसेंगे टंडवा अंचल व सीसीएल के कर्मी-पदाधिकारी
जांच कमेटी ने पाया है कि अंचल के पदाधिकारियों-कर्मियों ने सीसीएल के कर्मियों-पदाधिकारियों के साथ साठगांठ कर फर्जीवाड़ा किया।इन लोगों ने फर्जी वंशावली, फर्जी लगान रसीद, हुकुमनामा, फर्जी जमाबंदी निर्गत कर उसके माध्यम से सीसीएल में धोखाधड़ी की।इसके आधार पर सीसीएल में धोखाधड़ी कर अधिग्रहित क्षेत्र के बाहर के व्यक्तियों को नौकरी दिलाई।
जांच में आरोपितों की वंशावली गलत तरीके से निर्गत किए जाने का मामला सामने आया है।गैरमजरूआ खास खातों के फर्जी एवं बनावटी लगान रसीद व हुकुमनामा तथा गलत जमाबंदी के आधार पर निर्गत वंशावली प्रमाण पत्र से तीन व्यक्तियों इस्माइल अंसारी, इब्राहिम व रिजवान मियां को नियोजन का लाभ दिया गया है।
मौजा कनौदा में खाता संख्या-01, प्लाट नंबर 40, रकबा 11.12 एकड़ भूमि का सत्यापन वर्ष 1997 है। भूमि का नक्शा तैयार करने का वर्ष 2023 है।फर्जी तरीके से भू-नक्शा तैयार कर 26 वर्षों के अंतराल के बाद बनावटी नक्शा तैयार किया गया। इसमें हस्ताक्षर भी फर्जी है। अनुसूचित जाति (भुइयां जाति) के व्यक्तियों को भूमि सरकारी बंदोबस्ती से प्राप्त है।एक ही भूमि का फर्जी तरीके से कागजात तैयार कर नक्शा बनाया गया है। जांच में सोबराती मियां, भूतपूर्व जमींदार बाढ़ो मियां का वंशज होने तथा उस मौजा का निवासी होने की पुष्टि नहीं हुई है। ये न तो इस मौजा के निवासी हैं और न हीं कभी इनका दखल कब्जा रहा है।
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