Sanjay Nishad: बस्ती में आयोजित मत्स्य पालक मेले में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद को उस वक्त गुस्सा आ गया जब उन्हें सरकारी प्रोटोकॉल के तहत सम्मान नहीं मिला। न तो कोई अधिकारी उन्हें रिसीव करने पहुंचा और न ही ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। उन्होंने इसे नौकरशाही की लापरवाही कहा और कड़ी नाराजगी जताई।
निषाद समुदाय के लिए आरक्षण और नौकरी की मांग
प्रोटोकॉल विवाद के साथ-साथ संजय निषाद ने निषाद समुदाय के लिए आरक्षण, नौकरी और राजनीतिक साझेदारी की पुरजोर मांग रखी। उन्होंने भाजपा (BJP) को चेताते हुए कहा, “अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आने वाले चुनावों में और क्षति झेलना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़ी जातियों को अब केवल “खिचड़ी” नहीं, बल्कि हक चाहिए।

राजनीतिक भागीदारी और निषाद वोट बैंक का दबाव
संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने निषाद समुदाय को आगामी विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय का वोट भाग 14-15% तक है, जो सत्ता के समीकरण बदल सकता है। उनका स्पष्ट इशारा था कि अगर भाजपा ने ध्यान नहीं दिया तो गठबंधन समीकरण बदल सकते हैं।
मदरसों पर हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का समर्थन
उत्तराखंड के ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ पर उठे सवालों के जवाब में संजय निषाद ने मदरसों को निशाने पर लेते हुए कहा कि “मदरसों में ज़हर पिलाया जा रहा है, हमारी सरकार अमृत पिलाकर सही रास्ते पर लाएगी।” यह बयान सियासी विवाद को और हवा दे सकता है।