Jeffrey Sachs on US: आज की बहुध्रुवीय दुनिया में भारत को दृढ़ता से अपनी विदेश नीति को संतुलित बनाना होगा। अमेरिका और यूरोप, जहां भारत को चीन के विरुद्ध मोर्चा बनाने में सहयोगी के रूप में देख रहे हैं, वहीं रूस अब फिर से भारत-रूस-चीन (RIC) ट्रोइका प्रारूप को पुनर्जीवित करना चाहता है।
अमेरिका का प्रभुत्व घटा, भारत की जरूरत बढ़ी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने कहा कि अमेरिका का वैश्विक प्रभुत्व अब समाप्त हो चुका है और हम बहुध्रुवीय व्यवस्था में प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने रूस की सरकारी एजेंसी TASS से बात करते हुए कहा,
“भारत, चीन, रूस और अमेरिका ये सभी अब समान ताकतें हैं। सवाल यह है कि क्या अमेरिका इसे स्वीकार कर पाएगा?”
उनका मानना है कि अमेरिका अब भी खुद को सुपरपावर मानता है, जो कि एक खतरनाक भ्रम है।

भारत के लिए RIC गठबंधन कितना संभव?
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत, रूस और चीन के बीच फिर से सक्रिय साझेदारी की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह प्रारूप अतीत में 20 से अधिक बार उच्चस्तरीय बैठकें कर चुका है और भारत-चीन के सीमा विवाद की शांति के बाद अब इसका पुनर्जीवन आवश्यक है।
भारत की असली चिंताएं: पाकिस्तान और चीन
भारत लंबे वक्त से पाकिस्तान के आतंकवाद से जूझ रहा है, जिसे चीन लगातार समर्थन देता है।
- पाकिस्तान ने PoK का एक भाग चीन को सौंपा है।
- चीन अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख पर दावा करता है।
इस स्थिति में भारत के लिए चीन पर विश्वास करना मुश्किल है।

चीन के एजेंडे और भारत की दूरी
चीन के ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में सेना के जनरल हे ली ने साफ किया कि:
- CPC का नेतृत्व चुनौती से बाहर होना चाहिए
- क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है
- राष्ट्रीय एकीकरण का सबसे बड़ा मुद्दा ताइवान है
इसमें चीन-भारत सीमा विवाद को भी चीन ने अपने मूल हितों में गिनाया है। ऐसे में भारत के लिए चीन के साथ गहरे गठबंधन की राह सरल नहीं।