उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच के लिए ‘प्रक्रिया’ शुरू की है।सूत्रों ने बताया कि इस दिशा में एक कदम उठाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय से घटना के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है।सूत्रों के अनुसार, इससे पहले इस घटनाक्रम के बाद शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने गुरुवार को सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित की सिफारिश की थी।आधिकारिक सूत्रों ने हालांकि कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले का प्रस्ताव स्वतंत्र और आंतरिक जांच प्रक्रिया से अलग है।
आधिकारिक सूत्रों ने हालांकि एक लिखित बयान में कहा, “न्यायमूर्ति वर्मा के घर पर हुई घटना के संबंध में गलत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही हैं।”
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने साक्ष्य और सूचना एकत्रित करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की है। उनसे शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट देने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “रिपोर्ट की जांच की जाएगी और आगे की और आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रक्रिया अपनाई जाएगी।”
दिल्ली उच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय ‘ इलाहाबाद उच्च न्यायालय’ स्थानांतरित करने के संबंध में कॉलेजियम ने कहा कि कथित घटना दिल्ली में हुई थी।
उन्होंने कहा, “प्रस्ताव (स्थानांतरण के संबंध में) की जांच भारत के मुख्य न्यायाधीश और शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम ने 20 मार्च, 2025 को की थी और उसके बाद शीर्ष न्यायालय के परामर्शी न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पत्र लिखे गए थे। प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा।”
कॉलेजियम के सदस्यों को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर नकदी जलाने के कथित वीडियो के बारे में अवगत कराए जाने के बाद मामले में जांच और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सूत्रों ने हालांकि कहा कि न्यायाधीश के घर पर कितनी नकदी थी, इसका कोई अनुमान नहीं है।
सूत्रों ने कहा, कॉलेजियम के सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सुझाव दिया कि वे जल्द से जल्द तथ्य-खोजी रिपोर्ट प्राप्त करने का प्रयास करें, क्योंकि इससे भविष्य की कार्रवाई के बारे में निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
नकदी की बरामदगी की रिपोर्ट पर न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से अभी तक (खबर लिखे जाने तक) कोई प्रतिक्रिया देने की कोई सूचना नहीं है।
इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भी यह मुद्दा उठा। पीठ के समक्ष एक वकील ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि इस ‘घटना’ से हमें दुख पहुंचा है। भविष्य में ‘ऐसी घटनाओं’ को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिए। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब देते हुए कहा कि न्यायाधीश इस बारे में सचेत हैं।
अपने संभावित स्थानांतरण की खबरों के बीच न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा आज 21 मार्च को छुट्टी पर रहे। आज सुबह उच्च न्यायालय में उनके कर्मचारियों द्वारा उनकी अनुपस्थिति की आधिकारिक घोषणा की गई।
इस बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने कहा कि वह न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय में वापस भेजने के कॉलेजियम के फैसले से स्तब्ध है।
मूल रूप से उच्च न्यायालय इलाहाबाद से आने वाले न्यायमूर्ति वर्मा को अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति वर्मा को 13 अक्टूबर 2014 को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1 फरवरी 2014 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्हें 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
न्यायमूर्ति वर्मा के नयी दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर आग की यह घटना 14 मार्च को रात करीब 11.30 बजे हुई। उस समय वह घर पर नहीं थे। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों और पुलिस को एक कमरे में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिली।
दिल्ली उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध न्यायमूर्ति वर्मा के व्यक्तिगत विवरण के अनुसार, उका जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी कॉम (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्हें 8 अगस्त, 1992 को एक वकील के रूप में नाम दर्ज किया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अधिवक्ता के रूप में उन्होंने संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों, कॉर्पोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं से संबंधित मामलों को संभालने से संबंधित क्षेत्रों में वकालत की। वह 2006 से पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशेष अधिवक्ता थे। उन्होंने मुख्य स्थायी अधिवक्ता का पद भी संभाला। 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद मामले में आंतरिक जांच के लिए ‘प्रक्रिया’ शुरू
