नई दिल्ली। सुंदरबन में यह हाईटेक निगरानी व्यवस्था ऐसे समय में लाई जा रही है जब सुरक्षा एजेंसियों को पूर्वी सीमा की पोरोसिटी को लेकर गहरी चिंता है। एजेंसियों का मानना है कि अगर इस सीमा को जल्द से जल्द तकनीकी सहायता से सुरक्षित नहीं किया गया, तो अवैध आव्रजन और आतंकवादी घुसपैठ को रोकने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। केंद्र सरकार पहले ही सीमा क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात कर चुकी है, निर्वासन की प्रक्रिया को तेज किया गया है और विभिन्न एजेंसियों के बीच खुफिया समन्वय को मजबूत किया जा रहा है। सुंदरबन पर विशेष फोकस इसी रणनीति का हिस्सा है।
समुद्री मार्गों के जरिए भारत में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं
सीमा सुरक्षा बल ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित संवेदनशील 113 किलोमीटर लंबे सुंदरबन क्षेत्र में अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली की तैनाती के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से मदद मांगी है। खुफिया जानकारी के आधार पर यह कदम उठाया गया है, जिसमें संकेत मिले हैं कि आतंकी संगठन सुंदरबन के नदी और समुद्री मार्गों के जरिए भारत में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। यह मांग पिछले महीने गृह मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में सीमा प्रबंधन सचिव की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय तटीय सुरक्षा समीक्षा बैठक के दौरान उठाई गई।
113 किमी के सुंदरबन क्षेत्र को तकनीकी निगरानी के दायरे में लाने का प्रस्ताव
यह बैठक ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद हुई थी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें 30 दिनों के भीतर वापस भेजने का अभियान तेज कर दिया गया है। इसके तहत बीएसएफ ने निगरानी बढ़ा दी है और अब वह संवेदनशील इलाकों में ड्रोन, रडार, सैटेलाइट इमेजरी और सीसीटीवी जैसी तकनीक का उपयोग बढ़ाना चाहता है, ताकि सीमा में मौजूद खामियों को दूर किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, बीएसएफ ने लगभग 113 किलोमीटर के सुंदरबन क्षेत्र को तकनीकी निगरानी के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है। इस संबंध में इसरो और डीआरडीओ के साथ मिलकर एक संभाव्यता अध्ययन भी किया जा चुका है।
बीएसएफ के पास आठ फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट और 96 पेट्रोल बोट्स हैं
डीआरडीओ को स्थल पर जाकर उपयुक्त तकनीकी समाधान की पहचान करने को कहा गया है, लेकिन फिलहाल वह गुजरात के क्रीक क्षेत्र में चल रहे एक अन्य प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद ही सुंदरबन का काम शुरू करेगा। इस समय बीएसएफ के पास आठ फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट और 96 पेट्रोल बोट्स हैं, जिनके माध्यम से निगरानी की जा रही है। इसके अलावा, बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल सरकार से सात निगरानी टावरों के लिए जमीन की मांग की है और जंगल विभाग के साथ साझा पोस्ट की संख्या बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है। अभी तीन ऐसे को-लोकेटेड पोस्ट पहले से मौजूद हैं।
हालांकि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से बार-बार किए गए सर्वेक्षणों में भाग नहीं लेने के चलते प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। पिछले महीने की बैठक में बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में राज्य सरकार ने सात साइटों का सर्वेक्षण करने की जानकारी दी और दो स्थानों पर जमीन देने की सहमति जताई।
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