बिहार में वाणिज्य कर विभाग ने कर चोरी करने वाले एक बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। माचिस की आड़ में सिगरेट का अवैध धंधा चल रहा था। नवादा का सिंडिकेट करोड़ों की कर चोरी कर चुका है और पटना सिटी का सिंडिकेट भी संदेह के घेरे में है। जांच में हाईटेक सिगरेट फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ जहां करोड़ों की सिगरेट का उत्पादन हो रहा था।
पटना। बिहार में कर चोरी करने वाले एक बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है। राज्यव्यापी औचक वाहन जांच अभियान क्रम के वाणिज्य-कर विभाग को पता चला कि माचिस की आड़ में सिगरेट का धंधा चल रहा है।प्राथमिक आकलन में नवादा का यह सिंडिकेट अब तक कई करोड़ की कर चोरी कर चुका है। इसके अलावा पटना सिटी का एक सिंडिकेट भी निशाने पर है।
आशंका है कि इस पूरे रैकेट का वही सरगना है, जिसका नेटवर्क कई राज्यों तक फैला है।बहरहाल, संदिग्ध लाइसेंसधारियों की जांच हो रही है। आगे कुछ और ठिकानों पर छापामारी हो सकती है। वाणिज्य-कर आयुक्त सह सचिव संजय कुमार सिंह के निर्देश पर वाहन जांच के लिए 40 विशेष टीमों का गठन हुआ। उसने पूरे राज्य में जांच की।
वाहन की जांच के साथ ही इस पूरे खेल का पर्दाफाश हो गया
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से इस पूरे अभियान की निगरानी हुई। बिहारशरीफ अंचल के पदाधिकारियों द्वारा माचिस लदे एक वाहन की जांच के साथ ही इस पूरे खेल का पर्दाफाश हो गया। वस्तुत: ई-वे बिल में माल का गंतव्य नवादा में हिसुआ से रांची दर्शाया गया था। इसी पर संदेश हुआ और गहन तलाशी हुई।पता चला कि कर्टन में माचिस की पैकिंग की गई थी, जबकि ट्रक में वास्तविक रूप से सिगरेट का बड़ा जखीरा लदा हुआ था। दस्तावेजों के विश्लेषण से कर चोरी के इस प्रकरण में सुनियोजित सिंडिकेट की संलिप्तता का अंदेशा है। इस व्यवसाय का निबंधन आरा के पते पर है। निरीक्षण हुआ तो वहां व्यवसाय अस्तित्वहीन पाया गया।
पता चला कि कर्टन में माचिस की पैकिंग की गई थी, जबकि ट्रक में वास्तविक रूप से सिगरेट का बड़ा जखीरा लदा हुआ था। दस्तावेजों के विश्लेषण से कर चोरी के इस प्रकरण में सुनियोजित सिंडिकेट की संलिप्तता का अंदेशा है। इस व्यवसाय का निबंधन आरा के पते पर है। निरीक्षण हुआ तो वहां व्यवसाय अस्तित्वहीन पाया गया।
मगध प्रमंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) को इसकी लीड दी गई। उनके निर्देश पर नवादा अंचल के अधिकारियों ने हिसुआ में हाईटेक सिगरेट फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। उल्लेखनीय है कि इस फर्म ने पूरे वित्तीय वर्ष में मात्र 1.60 लाख रुपये की बिक्री दिखाई थी, जबकि मौके पर करोड़ों का सिगरेट बनाए जाने की पुष्टि हुई है।
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