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Uttarakhand : सदियों पुराना वटवृक्ष गिरा टपकेश्वर महादेव मंदिर में

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Uttarakhand : सदियों पुराना वटवृक्ष गिरा टपकेश्वर महादेव मंदिर में

उत्तराखंड: Uttarakhand देहरादून के प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव (Tapkeshwar Mahadev) मंदिर परिसर में मंगलवार को एक सदियों पुराना वटवृक्ष (Banyan tree) अचानक धराशायी हो गया। यह पेड़ मंदिर के पास मौजूद था और अक्सर श्रद्धालु इसकी छांव में बैठकर पूजा-अर्चना करते थे

उत्तराखंड: Uttarakhand राजधानी देहरादून के प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मौजूद सदियों पुराना एक विशाल पेड़ गिर गया। लगातार हो रही बारिश और तेज हवाओं की चपेट में आने ये पेड़ गिर गया। यह घटना मंगलवार को हुई।

गनीमत रही कि पेड़ सोमवार को नहीं गिरा, क्योंकि इस दिन मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है, जिससे एक बड़ा हादसा होते-होते बचा।

मंदिर परिसर में गिरा विशाल पेड़

उत्तराखंड Uttarakhand पेड़ इतना विशाल था कि उसके गिरने से आस-पास का इलाका भी प्रभावित हुआ। गिरते हुए पेड़ का एक बड़ा हिस्सा पास की एक दुकान और मंदिर परिसर में स्थित पुलिस चौकी की चपेट में आ गया। पेड़ की चपेट में आने से एक व्यक्ति भी घायल बताया जा रहा है।

बड़ा हादसा होने से टला

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड के कर्मी तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने तेजी से कार्रवाई करते हुए गिरे हुए पेड़ को सड़क से हटवाया। स्थानीय दुकानदारों की मानें तो अगर पेड़ सोमवार को गिरा होता, तो बड़ा हादसा हो सकता था।

भालू के हमले में पोस्टमास्टर की मौत

एक अन्य खबर में, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में मंगलवार को सामा-मुनस्यारी मार्ग पर भालू के हमले में एक पोस्टमास्टर की मौत हो गई। राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF) ने बताया कि यह घटना मंगलवार सुबह हुई, जब पोस्टमास्टर यश शर्मा (20) डाक लेकर साइकिल से जा रहा था और इसी दौरान एक जंगली भालू उसके पीछे पड़ गया।

घबराहट में यश की साइकिल अनियंत्रित हो गई और वह खाई में जा गिरा। इसके बाद भालू ने उस पर हमला कर दिया और उसे मौत के घाट उतार दिया। 

एसडीआरएफ की टीम ने खाई में उतरकर पोस्टमास्टर के शव को स्ट्रेचर की सहायता से मुख्य मार्ग तक पहुंचाया और आगे की कार्रवाई के लिए जिला पुलिस के सुपुर्द किया। मृतक यश हरियाणा के पानीपत जिले के महेंद्रगढ़ का रहने वाला था और वर्तमान में बागेश्वर जिले में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत था।

टपकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी क्या है?

महादेव मंदिर महाभारत काल से भी प्राचीन माना जाता है। मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने यहां तपस्या की थी। भोलेनाथ की कृपा से अश्वत्थामा के लिए गुफा से दूध की धाराएं प्रवाहित हुई थीं।

टपकेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?

देहरादून के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर शहर के केंद्र से लगभग 6.5 किमी दूर स्थित एक प्राकृतिक गुफा में बना है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

टपकेश्वर मंदिर की मान्यता क्या है?

मान्यता है कि इस गुफा में गुरु द्रोणाचार्य ने भगवान शिव की 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए। गुरु द्रोणाचार्य के आग्रह पर भगवान शिव यहां लिंग रूप में स्थापित हुए।

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