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Earthquake in Delhi: दिल्ली में लगातार दूसरे दिन हिली धरती

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Earthquake in Delhi: दिल्ली में लगातार दूसरे दिन हिली धरती

10 और 11 जुलाई को महसूस किए गए भूकंप के झटके

दो दिनों में दो झटके

  • 10 जुलाई: सुबह करीब 9:04 बजे 4.4 तीव्रता का भूकंप, केंद्र झज्जर, हरियाणा
  • 11 जुलाई: शाम को फिर आया भूकंप, इस बार तीव्रता रही 3.7
  • दिल्ली-NCR में झटकों से लोगों में डर का माहौल
  • नोएडा, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम में महसूस किए गए कंपन

Earthquake in Delhi: दिल्ली (Delhi) एनसीआर में एक बार फिर भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए हैं. 24 घंटे में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इसकी तीव्रता 3.7 और केंद्र हरियाणा का झज्जर रहा। बीते दिन भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 4.1 और केंद्र हरियाणा का झज्जर ही था

दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. 24 घंटे में दूसरी बार राजधानी में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इसकी तीव्रता 3.7 और केंद्र हरियाणा का झज्जर रहा. बीते दिन दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। ये भूकंप सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर आया था. इसकी तीव्रता 4.1 और केंद्र हरियाणा का झज्जर ही था।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इन क्षेत्रों में भूकंप अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा थोड़ा तीव्र आता है। जून और जुलाई में जम्मू-कश्मीर में 4.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिससे कुछ जगहों पर दीवारों में दरारें आईं. हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं मिली।

पूर्वोत्तर भारत खासकर असम और मेघालय जैसे राज्यों में भी भूकंप के कई झटके महसूस किए गए. यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में आता है. जून में असम के कुछ जिलों में 5.0 के आसपास तीव्रता का भूकंप आया. इसके बाद कई लोग घरों से बाहर निकल आए।

दिल्ली में भूकंप आने की ज्यादा आशंका क्यों?

राजधानी दिल्ली देश के उन चुने हुए क्षेत्रों में है, जहां भूकंप का खतरा ज्यादा है. भूकंप की तीव्रता के आधार पर देश में 4 भूकंपीय क्षेत्र हैं. इसमें दिल्ली सिस्मिक जोन IV में उत्तराखंड के नैनीताल, पीलीभीत, रुड़की, बिहार के पटना, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, गोरखपुर, सिक्किम के गंगटोक, पंजाब के अमृतसर की तरह आता है, यहां जोखिम ज्यादा बना रहता है।

दिल्ली में अगर ज्यादा तेज भूकंप आया तो इसकी तीव्रता 6 से 6.9 तक हो सकती है.दिल्ली हिमालय के नजदीक हैv भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बनने के कारण धरती के भीतर की प्लेटों में होने वाली हलचल का खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ सकता है. इसलिए नेपाल, तिब्बत के असर भारत पर पड़ते हैं. लिहाजा, इन इलाकों में आने वाला भूकंप भी दिल्ली को हिला जाता है।

भूकंप के 5 मुख्य कारण क्या हैं?

अक्सर भूकम्प भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। भूकम्प के उत्पन्न होने का प्रारम्भिक बिन्दु अवकेन्द्र या हाईपो सेंटर कहलाता है। शब्द उपरिकेन्द्र का अर्थ है, भूमि के स्तर पर ठीक इसके ऊपर का बिन्दु।

दिल्ली में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?

अब आते हैं दिल्ली पर कि दिल्ली-एनसीआर की जमीन के नीचे कितनी हलचल है. दरअसल, दिल्ली के नीचे से कई भ्रंश यानी फॉल्ट्स गुजरते हैं जो भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट के टकराने की वजह से बने हैं. इनमें हिमालयन फॉल्ट लाइन दिल्ली से दूर है जहां सबसे बड़े भूकंप आ सकते हैं।

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