తెలుగు | Epaper

Nominate : राज्यसभा जाने वाले शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर के बारे में जानिए अहम बातें

Ankit Jaiswal
Ankit Jaiswal
Nominate : राज्यसभा जाने वाले शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर के बारे में जानिए अहम बातें

शिक्षा और संघर्ष की प्रेरणादायक मिसाल

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने भारतीय संविधान से प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया है। इनमें केरल के शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर (C. Sadanandan Master) भी शामिल हैं, जिनका जीवन शिक्षा और संघर्ष की प्रेरणादायक मिसाल है। उनके नाम की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दी है

साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, ”सी. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति है। हिंसा और धमकी भी राष्ट्र विकास के प्रति उनके जज्बे को डिगा नहीं सकी। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं। युवा सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर उन्हें बधाई। सांसद के रूप में उनकी भूमिका के लिए शुभकामनाएं।”

1999 से सामाजिक विज्ञान के शिक्षक

सदानंदन मास्टर केरल के त्रिशूर जिले के पेरमंगलम स्थित श्री दुर्गा विलासम हायर सेकेंडरी स्कूल में 1999 से सामाजिक विज्ञान के शिक्षक हैं। उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से बी.कॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड किया है। वह केरल में राष्ट्रीय अध्यापक संघ के उपाध्यक्ष और उसकी पत्रिका ‘देशीय अध्यापक वार्ता’ के संपादक भी हैं।

राजनीतिक हिंसा का गढ़

25 जनवरी 1994 को जब सदानंदन मास्टर सिर्फ 30 वर्ष के थे, तब केरल के कन्नूर जिले में उनके घर के पास उन पर जानलेवा हमला हुआ था। यह इलाका केरल में लंबे समय से राजनीतिक हिंसा का गढ़ माना जाता है। हमले में उनके दोनों पैर काट दिए गए। आरोप है कि हमला सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया था और यह उनके वामपंथ से वैचारिक असहमति का परिणाम था। इस हादसे के बावजूद उन्होंने सार्वजनिक जीवन से नाता नहीं तोड़ा और लगातार सक्रिय रहे।

वैचारिक जागरूकता का करते हैं प्रचार-प्रसार

उन्होंने पूर्व में कन्नूर की कूथुपरम्बा विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा है और भारतीय विचार केंद्रम जैसे वैचारिक संगठनों से जुड़े रहे हैं। वह राजनीतिक हिंसा के खिलाफ मुखर रहे। इसके अलावा, शैक्षिक सुधारों में उनकी रुचि रही है। वह शांति और वैचारिक संतुलन की वकालत करने के साथ-साथ वैचारिक जागरूकता का प्रचार-प्रसार करते हैं। सी. सदानंदन मास्टर की पत्नी वनीता रानी भी एक शिक्षिका हैं। उनकी बेटी यमुना भारती बीटेक की छात्रा हैं। उनका परिवार शैक्षणिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहा है।

सदानंदन

भारत में राज्यसभा कितनी है?

हमारे देश में केवल एक राज्यसभा है, जो संसद का उच्च सदन है। इसमें अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें 238 राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित होते हैं। यह स्थायी सदन है, जो कभी भंग नहीं होता, केवल आंशिक चुनाव होते हैं।

राज्यसभा और लोकसभा में क्या अंतर है?

देश में राज्यसभा संसद का उच्च सदन है, जबकि लोकसभा निम्न सदन है। लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं, राज्यसभा के सदस्य राज्यों की विधानसभाओं द्वारा। लोकसभा पांच साल में भंग होती है, राज्यसभा स्थायी होती है। लोकसभा में सरकार बनती है, राज्यसभा सलाहकारी भूमिका निभाती है।

राज्यसभा का पुराना नाम क्या था?

देश में राज्यसभा का कोई विशेष “पुराना नाम” नहीं था, लेकिन भारतीय संविधान लागू होने से पहले इसे “काउंसिल ऑफ स्टेट्स” (Council of States) कहा जाता था। 1952 में संविधान के तहत जब भारतीय संसद का गठन हुआ, तब इसे आधिकारिक रूप से “राज्यसभा” नाम दिया गया, जो अब उच्च सदन है।

Read Also : Bihar Election : मतदाता सत्यापन अभियान में बड़ा खुलासा

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870