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Nag Panchami Katha : पौराणिक महत्त्व और कथा

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Nag Panchami Katha : पौराणिक महत्त्व और कथा

व्रत रखने वालों के लिए विशेष कथा

यदि आपने नाग पंचमी (Nag Panchami) का व्रत (Katha) रखा है, तो इस पवित्र कथा को जरूर पढ़ें। यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्रत की पूर्ति और फलदायिता के लिए भी आवश्यक मानी जाती है

एक किसान परिवार की कथा

पुराणों के अनुसार, एक समय की बात है — एक किसान के तीन पुत्र थे। एक दिन खेत जोतते समय उसके पुत्रों ने गलती से एक नाग को मार डाला। नागराज की माता ने क्रोधित होकर तीनों पुत्रों को डंस लिया।

Nag Panchami Katha (नाग पंचमी व्रत कथा): नाग पंचमी सावन का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो नाग देवताओं को समर्पित है। इस दिन अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख यानी कुल आठ नागों की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। यहां हम जानेंगे नाग पंचमी की पौराणिक कथा क्या है।

Nag Panchami Katha (नाग पंचमी व्रत कथा):  नागों का हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है। जैसे भगवान विष्णु की शैय्या शेषनाग हैं तो वहीं भगवान शिव के गले का आभूषण नाग देवता हैं। जिस कारण से नाग देवताओं को सनातन धर्म में पूजनीय माना जाता है और नाग पंचमी के दिन उनकी विशेष रूप से पूजा होती है। इस साल नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई को मनाया जा रहा है। अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं तो इस पर्व की पावन कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha)

नाग पंचमी से जुड़ी एक पौराणिक कथा अनुसार समुद्र मंथन के समय नागों ने अपनी माता की बात नहीं मानी थी, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने अपने ही पुत्रों को जनमेजय के यज्ञ में भस्म होने का श्राप दे दिया। माता का ऐसा श्राप पाकर सभी नाग घबरा गए और वो ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे। तब ब्रह्माजी ने कहा कि अब नागवंश में महात्मा जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ही तुम्हारी रक्षा करेंगे। कहते हैं ब्रह्मा जी ने इस उपाय को पंचमी तिथि के दिन ही बताया था। कहते हैं इसके बाद जब राजा जनमेजय ने नागों को भस्म करने के लिए नाग यज्ञ शुरू किया और वे आहुति के लिए मंत्रोच्चार करने लगे तो वैसे ही नाग जलने लगे।

कहते हैं तब आस्तिक मुनि ने उन नागों के पर दूध डाला। जिससे उन्हें जलन से शांति मिली। कहते हैं आस्तिक मुनि ने सावन शुक्ल पंचमी के दिन ही नागों को बचाया था, इसलिए ही हर साल इस तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है और नागों का दूध से अभिषेक किया जाता है। वहीं एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान किसी को भी रस्सी नहीं मिल रही थी तब इस समय वासुकि नाग को रस्सी की जगह पर इस्तेमाल किया गया। कहते हैं इसके बाद से ही इस तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।

वहीं इस पर्व से जुड़ी तीसरी पौराणिक कथा के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की नागों से रक्षा की थी। कहते हैं इसके बाद से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

नाग पंचमी की कहानी क्या है?

नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों के अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों से बदला लेने और उनके वंश के विनाश के लिए एक यज्ञ किया। वह नागों से अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने की वजह होने का बदला लेना चाहता था।

नागर पंचमी क्यों मनाई जाती है?

महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण त्योहार, नाग पंचमी, पवित्र श्रावण मास के पाँचवें दिन नाग देवता शेषनाग के सम्मान में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में नाग पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और इस त्योहार पर घरों में मिट्टी से बने नागों की पूजा की जाती है।

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