हैदराबाद। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आज तेलंगाना राज्य से संबंधित शिकायतों (Complaints) और मामलों पर विचार करने के लिए हैदराबाद स्थित डॉ. एमसीआर मानव संसाधन विकास संस्थान में दो दिवसीय खुली सुनवाई (Hearing) और शिविर सत्र शुरू किया। इस कार्यवाही का उद्देश्य शिकायतों का शीघ्र निवारण और सार्वजनिक प्राधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना है। सुनवाई दो खंडपीठों द्वारा की गई। खंडपीठ-I की अध्यक्षता एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन कर रहे हैं।
खंडपीठ-II की अध्यक्षता न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी कर रहे हैं
राष्ट्रीय मानवाधिकार के खंडपीठ-II की अध्यक्षता न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी कर रहे हैं, जिनके साथ सदस्य विजया भारती सयानी भी हैं। इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के चुनिंदा मामलों की सुनवाई के लिए एक पूर्ण पीठ का गठन किया गया, जिनमें से अधिकांश आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लिए गए मामले थे। इनमें जाति-आधारित भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार, हिरासत और पुलिस ज्यादतियों, और जीवन, सम्मान, स्वतंत्रता और आजीविका के अधिकार के उल्लंघन से संबंधित कई मामले शामिल थे। कल, एनएचआरसी के सदस्य राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बाद में वे गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे।

मुख्य सचिव के. रामकृष्ण राव ने अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का स्वागत किया
मुख्य सचिव के. रामकृष्ण राव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का स्वागत किया। आयोग की सहायता के लिए तेलंगाना सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिनमें रवि गुप्ता, विशेष मुख्य सचिव (गृह); श्री महेश भागवत, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक; विक्रम सिंह मान, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, विशेष आयुक्त सूचना एवं जनसंपर्क चौधरी प्रियंका, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक; और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल थे। उनकी भागीदारी का उद्देश्य उठाए गए मामलों पर त्वरित प्रतिक्रिया और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करना था।
आयोग ने समयबद्ध, पारदर्शी और सहानुभूतिपूर्ण तरीके से सुनवाई का निर्णय लिया
आयोग ने समयबद्ध, पारदर्शी और सहानुभूतिपूर्ण तरीके से सुनवाई का निर्णय लिया और संबंधित अधिकारियों को शीघ्र निवारण के लिए विशिष्ट निर्देश जारी किए। जिन मामलों में उल्लंघन स्थापित हुए, आयोग ने पीड़ितों को उचित समझे जाने पर आर्थिक मुआवजे की भी सिफारिश की और उन्हें प्रदान किया। मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं, जिनमें अभिलेख तलब करना, गवाहों से पूछताछ करना, विभागीय कार्रवाई की सिफ़ारिश करना और पीड़ितों को आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल है। ऐसी खुली सुनवाई और शिविर बैठकों के माध्यम से, आयोग नागरिकों और न्याय प्रणाली के बीच की खाई को पाटकर संवैधानिक अधिकारों और मानवीय गरिमा को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं?
इस समय न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन (Justice V. Ramasubramanian) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं, उन्होंने 30 दिसंबर 2024 को पदभार ग्रहण किया है और वर्तमान में इस पद पर कार्यरत हैं
7 मानव अधिकार क्या है?
मानव अधिकार वे बुनियादी अधिकार हैं जिन्हें हर व्यक्ति को जाति, धर्म, लिंग, भाषा आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना प्राप्त होते हैं। इनमें शामिल हैं:
- जीवन का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- समानता का अधिकार
- मर्यादा (dignity) से संबंधित अधिकार
ये अधिकार संविधान द्वारा गारंटी किए गए हैं अथवा अंतरराष्ट्रीय संधियों में निहित हैं, और भारत में न्यायालयों द्वारा लागू होते हैं।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में कितने सदस्य होते हैं?
NHRC की संरचना इस प्रकार है:
- 1 अध्यक्ष (Chairperson)
- 5 पूर्णकालिक सदस्य (full-time members)
- इसके अलावा 7 पदेन (ex‑officio) सदस्य, जो अन्य राष्ट्रीय आयोगों—जैसे अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग व दिव्यांग आयोग—के अध्यक्ष होते हैं।
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