कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 24 जुलाई 2025 को चुनाव आयोग (ECI) पर मतदाता सूची में धांधली के गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके पास कर्नाटक और बिहार में “वोट चोरी” के पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने विशेष रूप से कर्नाटक की एक लोकसभा सीट का जिक्र करते हुए कहा कि हजारों संदिग्ध मतदाताओं को नए मतदाता के रूप में जोड़ा गया और वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए। इसके साथ ही, उन्होंने 1 अगस्त 2025 को संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में चुनाव आयोग के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी, जिसमें कहा, “चुनाव आयोग में शामिल लोग, ऊपर से नीचे तक, याद रखें कि आपको बख्शा नहीं जाएगा। आप भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं, यह देशद्रोह से कम नहीं है। आप रिटायर हो जाएं, कहीं भी हों, हम आपको ढूंढ लेंगे।“
राहुल गांधी ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने छह महीने की जांच के बाद “विस्फोटक सबूत” जुटाए हैं, जिसे वे जल्द सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने इसे “एटम बम” करार देते हुए कहा कि इसके खुलासे के बाद चुनाव आयोग के पास छिपने की जगह नहीं बचेगी। उनके आरोपों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में 41 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने और बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को संदिग्ध बताया गया।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” और “भ्रामक” करार देते हुए खारिज किया। आयोग ने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक या बिहार में मतदाता सूची को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 के तहत संभव थी। आयोग ने राहुल गांधी पर संवैधानिक संस्था को “धमकाने” का आरोप लगाया और इसे “लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन” बताया।
बीजेपी ने भी राहुल गांधी के बयानों की आलोचना की। कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने इसे “हास्यास्पद” बताया और कहा कि गांधी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। इस बीच, विपक्षी दलों ने बिहार में SIR प्रक्रिया के खिलाफ संसद के अंदर और बाहर विरोध तेज करने का फैसला किया है। यह विवाद चुनाव आयोग की निष्पक्षता और मतदाता सूची की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, जिसके राजनीतिक परिणाम बिहार विधानसभा चुनाव से पहले और गहरे हो सकते हैं.
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