6 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य
हैदराबाद। धन की कमी से जूझ रहे सिकंदराबाद छावनी बोर्ड (SCB) ने पहली बार पानी के बिल का भुगतान न करने वाले उपभोक्ताओं के पानी के कनेक्शन काटने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। एससीबी जल शाखा का लक्ष्य इस पहल के माध्यम से लगभग 6 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलना और अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करना है। इस अभियान के तहत, अधिकारियों ने सभी आठ एससीबी वार्डों में बकाया राशि के लिए पानी के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं। SCB जल शाखा के रिकॉर्ड के अनुसार, 36,000 पंजीकृत उपभोक्ताओं को उनके जल उपभोग के आधार पर मासिक जल बिल प्राप्त होता है, जिनमें से 28 प्रतिशत अपने लम्बे समय से लंबित बकाया का भुगतान करने में विफल रहे हैं।
नोटिसों को पूरी तरह से किया गया नजरअंदाज
एससीबी जल शाखा के अधीक्षक एस राज कुमार ने बताया, ‘हमने बकाएदारों को तीन बार नोटिस जारी किए और उनसे बकाया राशि चुकाने का आग्रह किया, क्योंकि छावनी बोर्ड की वित्तीय स्थिति खराब है। लेकिन ग्राहकों ने नोटिसों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया।’ यह अभियान छावनी की आवासीय कॉलोनियों में शुरू हुआ और आने वाले हफ़्तों में अन्य क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन निवासियों का एक साल से ज़्यादा का बिल बकाया है, उनके कनेक्शन काटने में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, एससीबी ने मौजूदा मात्रा के अलावा प्रतिदिन 10 लाख गैलन तक पानी की आपूर्ति बढ़ा दी, लेकिन ग्राहक अभी भी मासिक बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। एससीबी अधिकारी ने कहा, ‘करीब 4 लाख लोगों की प्यास बुझाने के लिए जलापूर्ति नेटवर्क की मरम्मत और रखरखाव का खर्च उठाना हमारे लिए एक कठिन काम बन गया है।’
बकाया चुकाने के लिए कार्यालय की ओर दौड़ते दिखे लोग
अधिकारियों ने लंबित पानी के बिलों के भुगतान के लिए एकमुश्त समाधान (ओटीएस) योजना शुरू की है और जल उपभोक्ताओं को कुल बकाया राशि पर 10 प्रतिशत की छूट भी दी है। हालाँकि, उपभोक्ताओं की ओर से इस योजना को लेकर प्रतिक्रिया ठंडी रही है। अभियान में भाग ले रहे एक अधिकारी ने बताया कि अभियान शुरू होते ही जिन बकाएदारों के पानी के कनेक्शन काट दिए गए थे, वे अपना बकाया चुकाने के लिए एससीबी कार्यालय की ओर दौड़ते देखे गए। पानी के कनेक्शन काटने की इस मुहिम पर छावनी के निवासियों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग बिल भुगतान को अनिवार्य बनाने के लिए एससीबी के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ लोग वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रहे परिवारों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
सिकंदराबाद का पुराना नाम क्या था?
ब्रिटिश शासन से पहले इस क्षेत्र को “लष्कर” कहा जाता था। बाद में इसे हैदराबाद के निजाम ने 1806 में अंग्रेजों के साथ समझौते के बाद “सिकंदराबाद” नाम दिया, जो तीसरे निजाम सिकंदर जाह के नाम पर रखा गया।
भारत में अभी कितने छावनी बोर्ड हैं?
देशभर में कुल 62 छावनी बोर्ड कार्यरत हैं। ये बोर्ड रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं और सैन्य क्षेत्रों में नागरिक सुविधाओं तथा प्रशासन की जिम्मेदारी निभाते हैं।
छावनी बोर्ड क्यों बनाया गया था?
सैन्य इलाकों में नागरिक प्रशासन, साफ-सफाई, स्वास्थ्य, पानी, सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए छावनी बोर्ड की स्थापना की गई। इनका उद्देश्य सेना के साथ-साथ वहां रहने वाले आम नागरिकों की सेवा करना है।
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