मॉस्को। भारत की 70 जड़ी-बूटियां (70 Indian Herbs) रूस की निगेटिव लिस्ट है। इनकों निगेटिव लिस्ट से हटवाने का काम डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने संभाल लिया है। भारतीय हर्बल उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधि एवं राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के सदस्य डॉ. राजाराम त्रिपाठी का मॉस्को में प्रतिष्ठित (Meet & Greet) कार्यक्रम में जोरदार स्वागत किया गया।
भारत के औषधीय पौधों, मसालों की रूसी बाजार में व्यापक मांग पर जोर
इस आयोजन का संयुक्त रूप से आयोजन ‘इंडियन बिज़नेस एलायंस’ (IBA), भारतीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र ‘SITA’ तथा ‘कृषि जागरण’ समूह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में रूस के विभिन्न औद्योगिक, व्यापारिक और कृषि क्षेत्रों के सफल उद्यमी, डॉक्टर, किसान एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे, जिन्होंने भारत के औषधीय पौधों, मसालों और सुपरफूड्स जैसे उत्पादों की रूसी बाजार में व्यापक मांग पर जोर दिया। विशेष चर्चा का विषय बनी भारत की लगभग 70 महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियां, जिनमें अश्वगंधा भी शामिल है, को रूस द्वारा ‘निगेटिव लिस्ट’ में रखने की स्थिति। यह सूची भारतीय हर्बल निर्यात के लिए बड़ी बाधा बनी हुई है। रूसी अधिकारियों के पास इन उत्पादों के वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी प्रमुख कारण मानी जा रही है।

दोनों देशों के औषधीय और स्वास्थ्य सहयोग में भी बड़ी बाधा : डॉ. त्रिपाठी
70 महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों पर “यह प्रतिबंध केवल व्यापारिक नुकसान नहीं, बल्कि दोनों देशों के औषधीय और स्वास्थ्य सहयोग में भी बड़ी बाधा है। मैं इसे भारत सरकार के समक्ष उच्च प्राथमिकता से उठाऊंगा और वैज्ञानिक डेटा तथा शोध के माध्यम से इसे दूर करने का हर संभव प्रयास करूंगा। इससे न केवल भारतीय किसानों को लाभ होगा बल्कि रूस के नागरिकों के स्वास्थ्य में भी सुधार आएगा।” डॉ. त्रिपाठी ने यह भी बताया कि वे जल्द ही रूस पुनः आने की योजना बना रहे हैं, जहां वे किसानों के बीच जाकर परंपरागत एवं आधुनिक कृषि तकनीकों के आदान-प्रदान का आयोजन करेंगे ताकि दोनों देशों के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिले।
यात्रा के दौरान मिले प्रमुख तथ्य:-
- रूस की निगेटिव लिस्ट में शामिल हैं लगभग 70 भारतीय औषधीय जड़ी-बूटियां, जिनमें अत्यंत महत्वपूर्ण अश्वगंधा भी है।
- इस प्रतिबंध का कारण रूस में भारत की औषधीय जड़ी-बूटियों के वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी बताई गई है।
- डॉ. त्रिपाठी भारत सरकार के समक्ष इसे उच्च प्राथमिकता से उठाकर वैज्ञानिक साक्ष्यों के माध्यम से प्रतिबंध हटाने के लिए प्रयासरत।
- रूस में भारतीय मसालों, सुपरफूड्स, मिलेट्स एवं एरोमैटिक उत्पादों की प्रबल मांग।
- अमेरिका की 25% टैरिफ की पृष्ठभूमि में रूस को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक निर्यात बाजार के रूप में माना जा रहा है।
- डॉ. त्रिपाठी शीघ्र ही रूस आकर भारतीय एवं रूसी किसानों के बीच पारंपरिक एवं आधुनिक कृषि तकनीकों के आदान-प्रदान की पहल करेंगे।
भारत-रूस के सहयोग को नए आयामों पर ले जाने का अवसर: मनोज कोटवानी
आईबीए अध्यक्ष मनोज कोटवानी ने कार्यक्रम समापन पर कहा कि, यह कार्यक्रम कृषि, स्वास्थ्य और व्यापार के क्षेत्रों में भारत-रूस के सहयोग को नए आयामों पर ले जाने का अवसर है। डॉ. त्रिपाठी का यह मिशन न केवल भारतीय हर्बल उत्पादकों को सशक्त बनाएगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करेगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मनोज कोटवानी, लेरिसा मात्रसोवा, डॉ राकेश श्रीवास्तव, डॉ राजीव वर्मा, डॉ बेन्नी मैथ्यू, डॉ अतुल चक्रपाणि , एंडी कोटवानी, शुभम , रोहित ,रोनी सहित बड़ी संख्या में भारतीय तथा रुसी उद्यमियों की भागीदारी रही।
कौन सी जड़ी बूटी केवल भारत में पाई जाती है?
गिलोय सट्टा
सबसे पावरफुल जड़ी बूटी कौन सी है?
अश्वगंधा — “Indian Ginseng”
सबसे कीमती जड़ी बूटी कौन सी है?
भारत की सबसे कीमती जड़ी-बूटी: यार्सागुंबा
Read also: PM: नया भारत भोलेनाथ को पूजता है और देश के दुश्मनों के सामने काल भैरव बन जाता है : मोदी