व्हाट्सएप पर अज्ञात धोखेबाजों ने कमीशन के बदले बैंक खाते उपलब्ध कराने का दिया था लालच
हैदराबाद। हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस ने एक डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले (Digital Arrest Scam) में कथित संलिप्तता के लिए तीन छात्रों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने 57 वर्षीय सरकारी कर्मचारी से 6.5 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। आरोपी के हेमंत रेड्डी (21), एम यशवंत रेड्डी (21), और एम थरुन (22) हैदराबाद और नलगोंडा के रहने वाले हैं। पुलिस के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग के आदी (Online Gaming Addiction) और आर्थिक तंगी से जूझ रहे तीनों को व्हाट्सएप पर अज्ञात धोखेबाजों ने कमीशन के बदले बैंक खाते उपलब्ध कराने का लालच दिया था। उन्होंने कथित तौर पर 40 से अधिक बैंक खाते उपलब्ध कराए, जिनका बाद में पूरे भारत में साइबर धोखाधड़ी में उपयोग किया गया।
6.5 लाख रुपए जमा करने के लिए किया मजबूर
जनवरी 2025 में, पीड़ित को एक व्यक्ति का फ़ोन आया जिसने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और उस पर 2 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया। जालसाज़ ने जाली गिरफ्तारी वारंट और अदालती आदेश समेत फ़र्ज़ी दस्तावेज़ भी भेजे और गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित को वित्तीय सत्यापन के लिए 6.5 लाख रुपए जमा करने के लिए मजबूर किया। शिकायत के आधार पर, साइबर क्राइम पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसके बाद से, इन तीनों का नाम देश भर में दर्ज कम से कम 23 अन्य साइबर धोखाधड़ी के मामलों में शामिल पाया गया है।

डिजिटल गिरफ्तारी क्या है?
जब किसी व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से, जैसे वीडियो कॉल, ई-मेल, या डिजिटल दस्तावेज़ के ज़रिए गिरफ्तारी की सूचना दी जाती है, तो इसे डिजिटल गिरफ्तारी कहा जाता है। यह असली पुलिस गिरफ्तारी नहीं होती, बल्कि अक्सर ठगी या साइबर फ्रॉड का हिस्सा होती है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
यह एक नकली कानूनी प्रक्रिया होती है, जिसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति को झूठे वीडियो या नकली आईडी दिखाकर कहते हैं कि आप पर मामला दर्ज है और आपको ऑनलाइन गिरफ्तार किया गया है। यह आमतौर पर पैसों की उगाही के लिए किया जाता है।
डिजिटल अरेस्ट की धारा कौन सी है?
भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई मान्य धारा या प्रक्रिया नहीं है। यदि कोई व्यक्ति डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर पैसे मांगता है, तो यह आईटी एक्ट की धारा 66D (छलपूर्वक पहचान बनाकर धोखाधड़ी) और IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।
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