झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष शिबू सोरेन (Sibu Soren) का आज यानी सोमवार को निधन हो गया है। उनके निधन से पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। शिबू सोरेन के निधन से झारखंड (Jharkhand) ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में शोक की लहर है। अलग-अलग पार्टियों के नेता उनके निधन पर दुख जता रहे हैं।
“शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे”
शिबू सोरेन के निधन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम ने ‘एक्स’ पर अपने शोक संदेश में लिखा, ”श्री शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में अपनी जगह बनाई। वे विशेष रूप से आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए उत्साही थे। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और उनको चाहने वालों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ओम शांति।”
लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे
गौरतलब है कि बीते काफी दिनों तक शिबू सोरेन सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहे। उनकी हालत काफी गंभीर थी और वह वेंटिलेटर पर थे। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। वे एक साल से डायलिसिस पर थे और पहले भी उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी। वहीं, पिता के निधन से सीएम हेमंत भी टूट चुके हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,”आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए…मैं आज ‘शून्य’ हो गया हूं।”
शिबू सोरेन का जीवन परिचय क्या है?
इसे सुनेंसोरेन 1980 से 1984, 1989 से 1998 और 2002 से 2019 तक दुमका से लोकसभा के सांसद रहे। उन्होंने तीन बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया: 2004 में, 2004 से 2005 तक और 2006 में। हालाँकि, उन्हें अपने निजी सचिव शशि नाथ झा की 1994 की हत्या में शामिल होने के लिए दिल्ली जिला अदालत ने दोषी ठहराया था।
झारखंड मुक्ति मोर्चा क्या है?
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) झारखण्ड का एक प्रमुख क्षेत्रीय राजनैतिक दल है, जिसका प्रभाव झारखण्ड एवं ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में है। शिबू सोरेन झामुमो के अध्यक्ष हैं। झारखंड के लिए इसका चुनाव चिन्ह धनुष और बाण है।
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