नक्सली इनामी मार्टिन केरकेट्टा पीएलएफआई संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था। वह 70 से अधिक हिंसक वारदातों और नक्सली आतंक में वांटेड था।
झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) को नक्सलियों के खिलाफ अभियान में एक और बड़ी सफलता मिली है। प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के सुप्रीमो और 15 लाख के इनामी नक्सली मार्टिन केरकेट्टा को पुलिस ने गुमला जिले में मंगलवार देर रात हुई मुठभेड़ में मार गिराया है।
70 से अधिक हिंसक वारदातों में था शामिल
मार्टिन पिछले दो दशकों से गुमला, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा और रांची जिले में आतंक का पर्याय बना हुआ था। वह 70 से भी अधिक हिंसक और नक्सली वारदातों में वांटेड था। गुमला (Gumla) एसपी हरिश बिन जमा को इनपुट मिला था कि मार्टिन के साथ नक्सलियों का एक हथियारबंद दस्ता कामडारा थाना क्षेत्र के चंगाबाड़ी ऊपरटोली में एक कारोबारी से लेवी (रंगदारी) वसूली के लिए पहुंचा है।
झारखंड पुलिस ने मौके पर मार डाला
सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक विशेष टीम का गठन किया और इलाके की घेराबंदी शुरू की। पुलिस को अपनी ओर आता देख मार्टिन और उसके साथियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में मार्टिन मौके पर ही मारा गया। मुठभेड़ स्थल से हथियार भी बरामद किए गए हैं। ऑपरेशन में गुमला जिले की एंटी नक्सली क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) और दो थाना क्षेत्रों की पुलिस शामिल थी।
इलाके में सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन जारी
मार्टिन के मारे जाने के बाद इलाके में पुलिस और सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। मार्टिन केरकेट्टा मूल रूप से कामडारा के रेड़मा गांव का निवासी था। वह पीएलएफआई के पूर्व प्रमुख दिनेश गोप का बेहद करीबी था और शुरुआती दिनों से ही संगठन से जुड़ा हुआ था। दो वर्ष पूर्व दिनेश गोप की नेपाल से गिरफ्तारी के बाद मार्टिन को संगठन की कमान सौंपी गई थी।
पीएलएफआई संगठन के केंद्रीय समिति का था सदस्य
मार्टिन पीएलएफआई की केंद्रीय समिति का सदस्य भी था और लेवी वसूली सहित कई उग्रवादी घटनाओं में संलिप्त था। इसके पहले भी वह दो-तीन बार पुलिस के साथ मुठभेड़ में बच निकलने में सफल रहा था। एसपी हरिश बिन जमा ने मीडिया से कहा, “गुमला पुलिस की कार्रवाई में 15 लाख का इनामी पीएलएफआई सुप्रीमो मार्टिन केरकेट्टा मारा गया है। यह नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता है।”
झारखंड पुलिस का इतिहास क्या है?
झारखंड पुलिस का गठन 2000 में हुआ था। झारखंड पुलिस का नेतृत्व पुलिस महानिदेशक करते हैं और इसका मुख्यालय रांची, झारखंड में है। झारखंड पुलिस में चार स्तर की जॉइनिंग होती है। शीर्ष पदों पर संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती किए गए भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी कार्यरत होते हैं।
झारखंड का पुराना नाम क्या है?
झारखंड को ” वनों का प्रदेश ” भी कहा जाता है। मुगल काल में इस क्षेत्र को कुकरा के नाम से जाना जाता था। मध्यकाल में इस क्षेत्र को झारखंड के नाम से जाना जाता था। “छोटानागपुर पठार” पर स्थित होने के कारण इसे “छोटानागपुर प्रदेश” भी कहा जाता है।
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