अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Trump) की आक्रामक टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है। 2 अप्रैल 2025 को घोषित “लिबरेशन डे” के तहत ट्रम्प ने लगभग हर देश पर 10% से 50% तक के टैरिफ लगाए। भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीदने की सजा के रूप में अतिरिक्त 25% टैरिफ थोपा गया, जिससे भारत के 87 बिलियन डॉलर के निर्यात बाजार और 7 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। लेकिन इस टैरिफ युद्ध का सबसे बड़ा लाभार्थी बन रहा है चीन, खासकर अफ्रीका में।
चीन, जो पहले से ही अफ्रीका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार है, ने 2024 में 295 बिलियन डॉलर का व्यापार किया, जो अमेरिका-अफ्रीका व्यापार से चार गुना अधिक है। ट्रम्प के टैरिफ ने अफ्रीकी देशों, जैसे दक्षिण अफ्रीका (30%), लेसोथो (50%), और अल्जीरिया (30%) पर भारी कर लगाए, जिससे अफ्रीकन ग्रोथ एंड अपॉर्चुनिटी एक्ट (AGOA) प्रभावी रूप से खत्म हो गया। इससे अफ्रीकी देशों को अमेरिकी बाजार में नुकसान हुआ, और वे चीन की ओर झुक रहे हैं।
चीन ने जून 2025 में 33 अफ्रीकी देशों के लिए आयात शुल्क हटा दिया, जिससे उसकी व्यापारिक पकड़ और मजबूत हुई। नाइजीरियाई अर्थशास्त्री बिस्मार्क रेवाने ने कहा, “अफ्रीका सीधे चीन की गोद में जा रहा है।” विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका-चीन व्यापार में 80% की कमी से सस्ते चीनी सामान अफ्रीकी बाजारों में बाढ़ ला सकते हैं, जो स्थानीय उद्योगों को नुकसान पहुंचाएगा। दक्षिण अफ्रीका के व्यापार मंत्री पार्क्स ताउ ने कहा कि वे अब एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व में नए बाजार तलाशेंगे।
ट्रम्प की नीति ने अफ्रीकी देशों को दोराहे पर ला खड़ा किया है—या तो वे अमेरिका से बातचीत करें, या चीन के साथ गहरे संबंध बनाएं। क्या यह टैरिफ युद्ध अफ्रीका में चीन को निर्विवाद किंग बना देगा?