पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में एक भीषण प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचा दी है। तेज बारिश और बादल फटने (Pakistan cloudburst news) के कारण अचानक आई बाढ़ में (Pakistan flood )अब तक 159 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग लापता हैं और दर्जनों घायल हुए हैं। सैकड़ों घर बह गए और कई गांव पानी में डूब गए। बाढ़ से सबसे ज़्यादा नुकसान (Flash flood deaths Pakistan) खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनर, शांगला, स्वात, मनसेहरा और बत्ताग्राम जिलों में (Khyber Pakhtunkhwa flood disaster)हुआ है। वहां लगातार बारिश से नदियां उफान पर हैं और कई जगहों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। गांवों का संपर्क टूट चुका है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने की कोशिश कर रहे हैं।
रैस्क्यू ऑपरेशन भी हादसे का शिकार
सरकारी एजेंसियों और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन राहत कार्य के दौरान एक रेस्क्यू हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार 5 लोगों की मौत हो गई। ये सभी कर्मचारी राहत अभियान में हिस्सा ले रहे थे। हादसे के बाद अभियान कुछ देर के लिए बाधित हो गया।
लोग हुए बेघर, स्कूल और सड़कें बंद
बारिश और बाढ़ की वजह से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। सड़कों और पुलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। स्कूल, अस्पताल और बाजार बंद कर दिए गए हैं। कई लोग अपने घरों की छतों पर फंसे हुए हैं और मदद का इंतज़ार कर रहे हैं। प्रशासन ने आसपास के इलाकों को खाली करवाना शुरू कर दिया है।

प्रशासन की अपील – घरों में रहें सुरक्षित
पाकिस्तान सरकार ने इस आपदा को गंभीर मानते हुए प्रभावित जिलों में आपातकाल जैसी स्थिति घोषित कर दी है। लोगों से कहा गया है कि जब तक जरूरी न हो, वे घरों से बाहर न निकलें। राहत सामग्री पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर और नौकाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या ये हैं जलवायु परिवर्तन के संकेत ?
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की आपदाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश के पैटर्न में तेजी से बदलाव हो रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान और भारत जैसे देशों में बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं बढ़ गई हैं।
सरकार ने किया शोक दिवस का ऐलान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है और राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया गया है। झंडों को आधा झुकाया गया और धार्मिक स्थलों पर विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की गईं।
जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन के लिए सतर्क रहने की ज़रूरत
पाकिस्तान की इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर बता दिया है कि हम सभी को जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन को लेकर और सतर्क रहने की ज़रूरत है। समय पर चेतावनी, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और तेज़ राहत व्यवस्था ही भविष्य में ऐसी त्रासदियों को कम कर सकती है।
पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी थी?
पाकिस्तान में सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी थी? 2010 की पाकिस्तान बाढ़ को देश के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ माना जाता है। भारी मानसूनी बारिश के कारण, जुलाई और अगस्त के अंत में सिंधु नदी उफान पर आ गई, जिससे व्यापक विनाश हुआ और अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा हो गया।
Read more : National : नहीं रहे नागालैंड के राज्यपाल एल. गणेशन, 80 वर्ष की उम्र में निधन