तेलंगाना : प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के दो वरिष्ठ भूमिगत नेताओं ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। राचकोंडा के पुलिस (Rachakonda Police)आयुक्त जी. सुधीर बाबू के समक्ष आत्मसमर्पण करने वालों में कई छद्म नामों से जानी जाने वाली 62 वर्षीया ककारला सुनीता (Kakarla Sunitha) उर्फ शारदा सीपीआई (माओवादी) की दांडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीके एसजेडसी) की वरिष्ठ राज्य समिति सदस्य (एससीएम) हैं और क्षेत्रीय राजनीतिक विद्यालय (रेपोस) और शिक्षा विभागीय समिति (ईडीसी) की भी सदस्य हैं। इसी तरह आत्मसमर्पण करने वाला दूसरा माओवादी लीडर 35 वर्षीय चेन्नूरी हरीश (Chennuri Harish) उर्फ रामन्ना तेलंगाना राज्य समिति की मंगई-इंद्रावेल्ली क्षेत्र समिति, केएम डीवीसी के एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम) हैं।
माओवादी नेताओं ने अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया : सुधीर बाबू
इस संबंध में जानकारी देते हुए राचकोंडा के पुलिस आयुक्त जी. सुधीर बाबू ने बताया कि तेलंगाना सरकार और पुलिस विभाग द्वारा प्रदान किए जा रहे विभिन्न कल्याणकारी उपायों और मुख्यधारा में लौटे लोगों को दिए जा रहे समर्थन से प्रेरित होकर, इन माओवादी नेताओं ने अपने परिवारों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया। उन्होंने सीपीआई (माओवादी) आंदोलन में चार दशक की सेवा के बाद सामाजिक मुख्यधारा में वापसी की है। इस आत्मसमर्पण को तेलंगाना पुलिस द्वारा अपनाई गई रणनीतियों की सफलता के रूप में देखा जा रहा है। सुनीता ने करीब चार दशक संगठन में काम किया है। दोनों ने ही कई घटनाओं में अहम भूमिका निभाई है।

पुलिस का भूमिगत माओवादियों से अपने पैतृक गांवों में लौटने का आग्रह
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग ने तेलंगाना के सभी भूमिगत माओवादियों से अपने पैतृक गांवों में लौटने और तेलंगाना के विकास में भाग लेने का आग्रह किया है। पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि मुख्यधारा में शामिल होने वाले प्रत्येक माओवादी को तेलंगाना सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास योजना के तहत लाभ प्रदान किए जाएंगे और उनके स्वतंत्र जीवन के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
सीपी ने कहा कि हाल के महीनों में पुलिस के “ऑपरेशन चेयुता” जैसे कार्यक्रमों के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को कल्याणकारी उपाय और विकास पहल के बारे में जानने के बाद माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं। पुलिस का अनुमान है कि इस साल अब तक, तेलंगाना में 122 माओवादी कैडरों और मिलिशिया सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया है, जो दर्शाता है कि सरकार और पुलिस के प्रयास रंग ला रहे हैं और अधिक से अधिक लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन अपना रहे हैं।
आत्मसमर्पण क्षेत्र में विकास और शांति को भी बढ़ावा देगा : पुलिस आयुक्त
उन्होंने कहा कि यह आत्मसमर्पण न केवल माओवादी आंदोलन को कमजोर करने में सहायक होगा, बल्कि यह क्षेत्र में विकास और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा देगा। तेलंगाना पुलिस और सरकार दोनों ही दृढ़ता से माओवादियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और एक बेहतर भविष्य के निर्माण में भागीदार बनने का आग्रह कर रही है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि बातचीत और पुनर्वास के माध्यम से संघर्षों का समाधान संभव है।
माओवादी का अर्थ क्या होता है?
माओवादी (Maoist) उन विचारधाराओं और लोगों को कहा जाता है जो चीनी क्रांतिकारी नेता माओ ज़ेदोंग (Mao Zedong) के विचारों को मानते हैं।
भारत में माओवादी लोग कौन हैं?
भारत में माओवादी वे लोग हैं जो CPI (Maoist) नामक प्रतिबंधित संगठन या उससे जुड़े गुटों से संबंध रखते हैं और सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करते हैं।
माओवादी और नक्सली कौन है?
माओवादी | नक्सली |
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माओवादी माओ ज़ेदोंग की विचारधारा से प्रेरित होते हैं और हथियारबंद क्रांति को ही मुख्य रास्ता मानते हैं। | नक्सली शब्द नक्सलबाड़ी आंदोलन (1967, पश्चिम बंगाल) से निकला है, जो किसानों के अधिकारों के लिए शुरू हुआ था। |
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