26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा हरितालिका तीज का व्रत
हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। हरतालिका तीज (Hartalika Teej) व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है।भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया 26 अगस्त को हरतालिका तीज मनाई जाती है। भारत में हरियाली तीज और कजरी तीज के बाद अब हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। यह व्रत भी अन्य दोनों व्रत के समान ही महत्व रखता है। हरतालिका तीज की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्दू (Hindu) धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है।
हरितालिका तीज शुभ मुहूर्त
इस वर्ष हरितालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से होगी और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे होगा। उदया तिथि (सूर्योदय के समय जो तिथि हो) को मान्यता दी जाती है, इसलिए व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा।
निर्जला रखा जाता है व्रत
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज व्रत करवा चौथ की तरह ही रखा जाता है। इस व्रत में पानी नहीं पिया जाता। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। अगर व्रत के दौरान सूतक लग जाए तो व्रत रख सकते हैं और पूजा रात में कर सकते हैं। हरतालिका तीज पर रात में जगकर माता पार्वती व भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए।

हरतालिका तीज का महत्व
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत का मतलब है ‘अपहरण’ और आलिका यानी ‘सहेली’. प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है।
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद। मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी।
पूजन विधि
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें। इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं। दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं। सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
रात को करें जागरण
शिवजी को वस्त्र अर्पित करें। अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें। अब भगवान की परिक्रमा करें। रात को जागरण करें । सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें। सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
हरतालिका तीज का इतिहास क्या है?
हरतालिका तीज का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी सहेलियां उन्हें जंगल ले गईं ताकि उनका विवाह कहीं और न हो। अंततः भगवान शिव ने माता पार्वती को स्वीकार किया। इसी घटना से हरतालिका तीज की परंपरा शुरू हुई।
तीज का व्रत महिलाएं क्यों रखती हैं?
महिलाएं तीज का व्रत पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि की कामना के लिए रखती हैं। अविवाहित कन्याएं यह व्रत मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस व्रत में निर्जला उपवास रखा जाता है और माता पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
तीज के 2 प्रकार कौन से हैं?
तीज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है—हरितालिका तीज और हरियाली तीज। हरितालिका तीज भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है और इसका धार्मिक महत्व अधिक है। हरियाली तीज सावन महीने में आती है, जो वर्षा ऋतु और हरे-भरे वातावरण से जुड़ी होती है। दोनों का महिलाओं में विशेष महत्व है।
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