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USA : पाकिस्तान के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप का निशाना साउथ कोरिया

Anuj Kumar
Anuj Kumar
USA : पाकिस्तान के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप का निशाना साउथ कोरिया

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर अपनी दबाव वाली राजनीति (Pressure Politics) को लेकर सुर्खियों में हैं। पाकिस्तान को अपनी कूटनीति के जाल में फंसाने के बाद अब ट्रंप की नजरें साउथ कोरिया पर हैं।

पाकिस्तान केस से शुरुआत

भारत के खिलाफ हाल ही में ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाया था और साथ ही पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर (General Asim Munir) को लगातार दो बार अमेरिका बुलाकर यह संदेश दिया कि अमेरिका क्षेत्रीय समीकरणों को अपने हिसाब से साधना चाहता है।

अब साउथ कोरिया पर दबाव

साउथ कोरिया अमेरिकी सुरक्षा, सैनिक तैनाती और परमाणु रोधक उपायों पर काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है। ऐसे में ट्रंप ने अचानक सोशल मीडिया पर बयान दिया कि दक्षिण कोरिया में “सफाई या क्रांति जैसी स्थिति” दिख रही है और ऐसे हालात में अमेरिका वहां व्यापार नहीं कर सकता। इस बयान ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित शिखर सम्मेलन से पहले तनाव का माहौल बना दिया।

नॉर्थ कोरिया से ट्रंप की नज़दीकी

इस बीच, ट्रंप ने साउथ कोरिया के कट्टर दुश्मन और तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की इच्छा जताई। यह कदम साउथ कोरिया के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप की रणनीति हर बार अमेरिका के आर्थिक और सुरक्षा हितों को प्राथमिकता देने की होती है, चाहे इसके लिए करीबी सहयोगियों को ही मुश्किल में क्यों न डालना पड़े।

भारत और साउथ कोरिया में फर्क

भारत के मामले में ट्रंप ने पाकिस्तान को बीच में लाकर तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश की, जबकि साउथ कोरिया के मामले में वह सीधे आर्थिक और सुरक्षा दबाव बनाने की नीति अपना रहे हैं। यह दिखाता है कि ट्रंप की विदेश नीति बहुपरत, परिस्थिति-निहित और अक्सर अप्रत्याशित रहती है

डोनाल्ड ट्रम्प कौन हैं?

डोनाल्ड जॉन ट्रम्प (जन्म 14 जून, 1946) एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ, मीडिया व्यक्तित्व और व्यवसायी हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं। रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य, उन्होंने 2017 से 2021 तक 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। डोनाल्ड जूनियर.

डोनाल्ड ट्रम्प किस धर्म के हैं?

डोनाल्ड ट्रम्प एक ईसाई हैं. हालाँकि, उनकी व्यक्तिगत धार्मिक पहचान बदल गई है; वह कभी प्रेस्बिटेरियन ईसाई माने जाते थे, लेकिन अब खुद को एक गैर-सांप्रदायिक ईसाई मानते हैं. कुछ लोगों ने उनकी धार्मिक मान्यताओं की गहराई पर सवाल उठाया है और उनके धार्मिक ज्ञान को सतही बताया है, जबकि अन्य ने उन्हें करिश्माई ईसाई धर्म से जोड़ा है. 

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