रूस-भारत संबंधों में नया अध्याय
मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Putin) दिसंबर 2025 में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे। इस यात्रा की पुष्टि क्रेमलिन ने कर दी है। ऐसे समय में जब अमेरिका ने रूस(Russia) से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, पुतिन की यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिका के कई शीर्ष अधिकारियों ने रूस-भारत संबंधों पर आपत्ति जताई है, बावजूद इसके दोनों देशों के रिश्ते और गहरे होते दिख रहे हैं।
पुतिन-मोदी मुलाकात और तैयारियां
क्रेमलिन के वरिष्ठ सहयोगी यूरी उशाकोव ने बताया कि पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात चीन(China) में एक क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान होगी। इसी मुलाकात में दिसंबर यात्रा की तैयारियों पर चर्चा होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस पहले ही आवश्यक व्यवस्थाएं लगभग पूरी कर चुके हैं और तारीख की घोषणा शीघ्र की जाएगी।
पुतिन(Putin) ने भारत का आखिरी दौरा 6 दिसंबर 2021 को किया था। उस समय नई दिल्ली (New Delhi) में 21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 में दो बार रूस की यात्रा की थी, जिनमें जुलाई का वार्षिक शिखर सम्मेलन और अक्टूबर का ब्रिक्स सम्मेलन शामिल था।
अमेरिका की नाराजगी और रिश्तों की मजबूती
अमेरिका ने रूस से भारत की ऊर्जा खरीद पर टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की है। इसके बावजूद भारत और रूस के बीच रणनीतिक संबंध और तेज हुए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर हाल ही में मॉस्को गए, जहां उन्होंने पुतिन और अपने समकक्षों से मुलाकात की।
इन दौरों से यह संकेत मिला है कि भारत अपने पारंपरिक सहयोगी रूस के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने के पक्ष में है। पुतिन(Putin) की आगामी भारत यात्रा से रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग में नए समझौते होने की उम्मीद जताई जा रही है।
पुतिन की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है?
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका-भारत के बीच टैरिफ विवाद चल रहा है। पुतिन की मौजूदगी से रक्षा और ऊर्जा साझेदारी में नए अवसर खुल सकते हैं।
पिछली बार पुतिन भारत कब आए थे?
पुतिन ने 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था। उस समय नई दिल्ली में 21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन हुआ था।
भारत-रूस संबंधों की मौजूदा स्थिति कैसी है?
दोनों देशों के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। हाल के उच्च स्तरीय दौरे और समझौतों से स्पष्ट है कि रक्षा, ऊर्जा और व्यापार सहयोग में और विस्तार की संभावनाएं हैं।
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