सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 1 सितंबर 2025 को बिहार में मतदाता सूची में नाम जोड़ने की समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने इसे गरीब और हाशिए के समुदायों के लिए हानिकारक बताया, लेकिन कोर्ट ने ECI की प्रक्रिया को पारदर्शी और पर्याप्त माना। हालांकि, ECI ने आश्वासन दिया कि 1 सितंबर के बाद भी दावों और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा, ताकि कोई पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे।
SIR प्रक्रिया और विवाद
ECI ने 24 जून 2025 को बिहार में SIR शुरू की थी। 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित हुई, जिसमें 65 लाख नाम हटाए गए, जिनमें 22 लाख मृतक, 36 लाख स्थानांतरित या अनट्रेसबल, और 7 लाख डुप्लिकेट थे। RJD और AIMIM ने दावा किया कि आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को शामिल न करने से कई पात्र मतदाता प्रभावित हुए। याचिकाकर्ताओं ने प्रक्रिया को मनमाना और अपारदर्शी बताया, खासकर हाशिए के समुदायों के लिए।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
जस्टिस सूर्या कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान ECI की प्रक्रिया का समर्थन किया। कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को आधार सहित 11 दस्तावेजों के साथ फॉर्म 6 जमा करने का पर्याप्त अवसर दिया गया। ECI ने 14 अगस्त के कोर्ट आदेश के तहत 19 अगस्त तक हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची और कारण सार्वजनिक किए। कोर्ट ने राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई, क्योंकि बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने केवल 25 दावे और 103 आपत्तियां दायर कीं।
ECI का आश्वासन
ECI ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि 1.9 लाख नाम हटाने और 30,000 नाम जोड़ने के दावों का सत्यापन हुआ, और 99.11% मतदाताओं ने दस्तावेज जमा किए। 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी आपत्तियां स्वीकार होंगी, और 30 सितंबर को अंतिम सूची प्रकाशित होगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और ECI का आश्वासन स्वच्छ मतदाता सूची की दिशा में कदम है। लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया कई मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है। अब नजरें बिहार विधानसभा चुनाव और अंतिम सूची पर टिकी हैं।
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