IMD ने सभी विवरण साझा कर दिए हैं।”
Uttarakhand Rain : उत्तराखंड (Uttarakhand) में प्राकृतिक आपदाओं ने कहर बरपा रखा है। भारी (Rain) बारिश, फ्लैश फ्लड, क्लाउड बर्स्ट और भूस्खलन से राज्य में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। राज्य में मंगलवार को भी मूसलाधार बारिश का सिलसिला जारी रहा, जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ। मौसम विभाग ने देहरादून, चंपावत, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों में भारी से ज्यादा भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है। इन जिलों में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है।
राज्य में अधिकांश नदियां उफान पर हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियां जैसे मंदाकिनी और अलकनंदा समेत कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर चला गया है। देहरादून समेत कई जिलों में पहली से 12वीं कक्षा तक के स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र मंगलवार को बंद रखे गए।
कब वापस जाएगा मानसून?
Uttarakhand Rain : आसमान से बरस रही आफत से राज्य के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। हालात ऐसे हैं कि अब लोग भगवान से बारिश रोकने की प्रार्थना कर रहे हैं। हालांकि, उत्तराखंड से मानसून की विदाई के लिए अभी 15 सितंबर तक इंतजार करना होगा। मौसम विभाग के निदेशक सीएस तोमर का कहना है कि 15 सितंबर तक अभी मानसून जारी रहेगा। 15 सितंबर आते-आते मौसम का मिजाज थोड़ा हल्का हो सकता है। सितंबर के आखिरी हफ्ते तक मानसून की विदाई हो सकती है।
कब तक स्थगित है चारधाम यात्रा?
चारधाम यात्रा को पांच सितंबर तक स्थगित कर दिया गया है, क्योंकि आगामी दिनों में भी इसी तरह का मौसम रहने का पूर्वानुमान जताया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटे में नैनीताल जिले में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई। जिले के हल्द्वानी में 116.6 मिलीमीटर, छोरगलिया में 118 मिलीमीटर, नैनीताल शहर में 114 मिलीमीटर, मुक्तेश्वर में 98.4 मिलीमीटर, ऊधम सिंह नगर के खटीमा में 92.5 मिलीमीटर, बेतालघाट में 85 मिलीमीटर, मुनस्यारी में 82.4 मिलीमीटर और पिथौरागढ़ में 74.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
रिद्वार-ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब
हल्द्वानी में गौला नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है, वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान के करीब है। अधिकारियों ने बताया कि गौला बैराज से 44,124 क्यूसेक पानी बह रहा है और बैराज के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर 293.07 मीटर, जबकि ऋषिकेश में 339.70 मीटर पर पहुंच गया है और यह दोनों स्थानों पर खतरे के निशान से लगभग एक मीटर नीचे है।
अब तक 79 लोगों की मौत, 95 लापता
अलकनंदा और मंदाकिनी नदियां (रुद्रप्रयाग), सोंग नदी (देहरादून), बांगंगा (हरिद्वार) और गौरीगंगा नदी (पिथौरागढ़ के बंगापानी क्षेत्र में) का जलस्तर भी खतरे के निशान के करीब है। इस वर्ष उत्तराखंड में मानसून ने काफी कहर बरपाया है। प्राकृतिक आपदाओं में अब तक 79 लोगों की मौत हो चुकी है, 114 लोग घायल हुए हैं और 95 लोग लापता हैं।
चार धाम का इतिहास क्या है?
नैमिषारण्य का चार धाम मंदिर महर्षि गोपालदास द्वारा बनवाया गया था और यह यहां आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है। ऐसा कहा जाता है कि चार धामों (जकन्नाथ पुरी, बद्रीनाथ, द्वारका और रामेश्वरम) की यात्रा के बाद जब महर्षि गोपालदास नैमिषारण्य पहुंचे, तो उन्हें चार धामों की तीर्थयात्रा के समान सामूहिक दिव्य अनुभव हुआ।
4 धाम 4 युग क्या है?
चार धाम या चतुर धाम चार पवित्र धामों को कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चारों धामों के दर्शन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रत्येक धाम चार युगों का प्रतिनिधित्व करता है। बद्रीनाथ सतयुग का, रामेश्वरम त्रेतायुग का, द्वारका द्वापरयुग का और पुरी कलियुग का प्रतिनिधित्व करता है
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