वाराणसी। 19 सितंबर 2025, पितृ पक्ष के अंतिम दिनों में वाराणसी के राजपूत समुदाय ने एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसमें पारंपरिक पिंडदान की जगह बच्चों को विद्यादान के रूप में फेलोशिप दी जा रही है। ‘राजसूत्र पीठ’ के बैनर तले चल रहे इस अभियान ने न केवल पितृ पक्ष को नया आयाम दिया, बल्कि अन्य त्योहारों और कार्यक्रमों में भी बच्चों के भविष्य के लिए धन जमा करने का संकल्प लिया गया है।
राजसूत्र पीठ: शिक्षा की अनोखी मिसाल
‘राजसूत्र पीठ’, जो वाराणसी में सक्रिय है, राजपूत समुदाय के पूर्वजों के वचनों को संजोए रखने का केंद्र है। इस वर्ष पितृ पक्ष में पीठ ने 50 से अधिक बच्चों को फेलोशिप प्रदान की, जो स्कूल फीस और शैक्षिक सामग्री के लिए है। पीठ के ट्रस्टी कुश सिंह ने कहा, “समाज के लोग अपने बच्चों के प्रति संवेदनशील हों। शादी-विवाह या छोटे अवसरों पर भी धन बच्चों के नाम जमा करें, ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी शिक्षा सुनिश्चित हो सके।”
पीठ का दावा है कि यह फेलोशिप केवल राजपूत बच्चों तक सीमित नहीं है। जरूरत पड़ने पर समाज के अन्य लोगों को भी सुविधाएँ दी जाती हैं। इस पहल से अब तक 100 से अधिक बच्चों को लाभ हुआ है, और पितृ पक्ष के समापन तक 150 फेलोशिप वितरित करने का लक्ष्य है।
त्योहारों में धन जमा का नया चलन
कुश सिंह के नेतृत्व में राजसूत्र पीठ ने प्रस्ताव रखा कि पितृ पक्ष के अलावा होली, दीवाली और अन्य अवसरों पर धन बच्चों के भविष्य के लिए जमा किया जाए। उन्होंने कहा, “शादी-विवाह में आडंबर छोड़ें और नकद या संपत्ति बच्चों की शिक्षा के लिए निधि में डालें। यह क्षत्रिय समाज की नई सोच है।” इस विचार को समुदाय ने हाथों-हाथ लिया, और कई परिवारों ने अपने बच्चों के नाम निधि खोलने का संकल्प लिया।
ब्राह्मण भोज की जगह शिक्षा दान
पारंपरिक ब्राह्मण भोज की जगह राजपूत समुदाय ने बच्चों को शिक्षा दान का रास्ता अपनाया है। पितृ पक्ष के दौरान घाटों पर आयोजित सभाओं में वचनों का पाठ करने के बाद फेलोशिप वितरित की गई। एक आयोजक ने बताया, “आडंबर से ऊपर उठकर हमने शिक्षा को प्राथमिकता दी। यह हमारे पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि है।” इस पहल में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी ने इसे और प्रभावी बनाया।
समाज में बदलाव की लहर
राजसूत्र पीठ की इस पहल ने वाराणसी में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। स्थानीय प्रशासन ने भी समर्थन की बात कही है। कुश सिंह ने जोड़ा, “हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा पढ़े। यह अभियान पितृ पक्ष से शुरू होकर साल भर चलेगा।” समुदाय के लोग अब छोटे-छोटे अवसरों पर भी बच्चों के लिए निधि जमा करने को प्रेरित हो रहे हैं, जो क्षत्रिय समाज में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।
अधिक जानकारी के लिए राजसूत्र पीठ, वाराणसी से संपर्क करें। यह पहल दर्शाती है कि परंपरा को आधुनिक संदर्भ में ढालकर समाज को मजबूत कैसे बनाया जा सकता है।
पितृ पक्ष में बच्चों को पिंड के बजाय विद्यादान का फेलोशिप: वाराणसी में राजपूत समुदाय की अनूठी पहल, राजसूत्र पीठ की मिसाल
वाराणसी। 19 सितंबर 2025, पितृ पक्ष के अंतिम दिनों में वाराणसी के राजपूत समुदाय ने एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसमें पारंपरिक पिंडदान की जगह बच्चों को विद्यादान के रूप में फेलोशिप दी जा रही है। ‘राजसूत्र पीठ’ के बैनर तले चल रहे इस अभियान ने न केवल पितृ पक्ष को नया आयाम दिया, बल्कि अन्य त्योहारों और कार्यक्रमों में भी बच्चों के भविष्य के लिए धन जमा करने का संकल्प लिया गया है।
राजसूत्र पीठ: शिक्षा की अनोखी मिसाल
‘राजसूत्र पीठ’, जो वाराणसी में सक्रिय है, राजपूत समुदाय के पूर्वजों के वचनों को संजोए रखने का केंद्र है। इस वर्ष पितृ पक्ष में पीठ ने 50 से अधिक बच्चों को फेलोशिप प्रदान की, जो स्कूल फीस और शैक्षिक सामग्री के लिए है। पीठ के ट्रस्टी कुश सिंह ने कहा, “समाज के लोग अपने बच्चों के प्रति संवेदनशील हों। शादी-विवाह या छोटे अवसरों पर भी धन बच्चों के नाम जमा करें, ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी शिक्षा सुनिश्चित हो सके।”
पीठ का दावा है कि यह फेलोशिप केवल राजपूत बच्चों तक सीमित नहीं है। जरूरत पड़ने पर समाज के अन्य लोगों को भी सुविधाएँ दी जाती हैं। इस पहल से अब तक 100 से अधिक बच्चों को लाभ हुआ है, और पितृ पक्ष के समापन तक 150 फेलोशिप वितरित करने का लक्ष्य है।
त्योहारों में धन जमा का नया चलन
कुश सिंह के नेतृत्व में राजसूत्र पीठ ने प्रस्ताव रखा कि पितृ पक्ष के अलावा होली, दीवाली और अन्य अवसरों पर धन बच्चों के भविष्य के लिए जमा किया जाए। उन्होंने कहा, “शादी-विवाह में आडंबर छोड़ें और नकद या संपत्ति बच्चों की शिक्षा के लिए निधि में डालें। यह क्षत्रिय समाज की नई सोच है।” इस विचार को समुदाय ने हाथों-हाथ लिया, और कई परिवारों ने अपने बच्चों के नाम निधि खोलने का संकल्प लिया।
ब्राह्मण भोज की जगह शिक्षा दान
पारंपरिक ब्राह्मण भोज की जगह राजपूत समुदाय ने बच्चों को शिक्षा दान का रास्ता अपनाया है। पितृ पक्ष के दौरान घाटों पर आयोजित सभाओं में वचनों का पाठ करने के बाद फेलोशिप वितरित की गई। एक आयोजक ने बताया, “आडंबर से ऊपर उठकर हमने शिक्षा को प्राथमिकता दी। यह हमारे पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि है।” इस पहल में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी ने इसे और प्रभावी बनाया।
समाज में बदलाव की लहर
राजसूत्र पीठ की इस पहल ने वाराणसी में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। स्थानीय प्रशासन ने भी समर्थन की बात कही है। कुश सिंह ने जोड़ा, “हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा पढ़े। यह अभियान पितृ पक्ष से शुरू होकर साल भर चलेगा।” समुदाय के लोग अब छोटे-छोटे अवसरों पर भी बच्चों के लिए निधि जमा करने को प्रेरित हो रहे हैं, जो क्षत्रिय समाज में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।
अधिक जानकारी के लिए राजसूत्र पीठ, वाराणसी से संपर्क करें। यह पहल दर्शाती है कि परंपरा को आधुनिक संदर्भ में ढालकर समाज को मजबूत कैसे बनाया जा सकता है।