पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mahbooba Mufti) ने यासीन मलिक के मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के पूर्व कमांडर यासीन मलिक को आतंक फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। मुफ्ती ने मलिक द्वारा हिंसा छोड़कर शांतिपूर्ण रास्ता अपनाने की हिम्मत की सराहना की और इसे कश्मीर में शांति प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैंने अमित शाह से यासीन मलिक के मामले में मानवीय नजरिया अपनाने का अनुरोध किया है।” मुफ्ती ने स्पष्ट किया कि वे मलिक की राजनीतिक विचारधारा से असहमत हैं, लेकिन उनकी शांतिपूर्ण संघर्ष की प्रतिबद्धता को कश्मीर के लिए सकारात्मक कदम मानती हैं।
यासीन मलिक का अतीत विवादास्पद रहा है। 1990 के दशक में उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों में हिस्सा लिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया और राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल हो गए। दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में मलिक ने दावा किया कि 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के साथ उनकी बैठक के बाद उन्हें धन्यवाद दिया था। यह बैठक शांति स्थापना के लिए थी, जिसमें सईद ने इस्लामी शिक्षाओं का हवाला देकर हिंसा का विरोध किया। मलिक ने इसे सरकारी मंजूरी प्राप्त पहल बताया, जिसे बाद में राजनीतिक कारणों से तोड़-मरोड़ दिया गया। उन्होंने इसे “विश्वासघात” करार दिया और अपनी शांतिपूर्ण कोशिशों को मान्यता न मिलने पर दुख जताया।
मुफ्ती की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब मलिक के पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से पुराने रिश्ते जांच के दायरे में हैं। कश्मीर में राजनीतिक तनाव के बीच यह पत्र शांति प्रक्रिया को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। मुफ्ती का यह कदम कश्मीरी नेताओं के बीच एकजुटता का संकेत देता है, जहां हिंसा के अतीत को पीछे छोड़कर भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश हो रही है। गृह मंत्रालय ने अभी तक इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस कदम ने कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में नई बहस छेड़ दी है।
मलिक के मामले ने एक बार फिर कश्मीर में शांति और सुलह की प्रक्रिया पर चर्चा को तेज कर दिया है। मुफ्ती की अपील को कुछ लोग मानवीय और समावेशी दृष्टिकोण के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे विवादास्पद मान रहे हैं, क्योंकि मलिक का आतंकवाद से पुराना नाता रहा है। कश्मीर में शांति स्थापना के लिए यह अपील कितनी प्रभावी होगी, यह भविष्य में सरकार के रुख और मलिक के मामले की प्रगति पर निर्भर करेगा।
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