नई दिल्ली। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (D. Y Chandrachood) ने अपने कार्यकाल से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अनुभव साझा किया है। उन्होंने खुलासा किया कि कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज ने सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र को “पाकिस्तान” कह दिया था। चंद्रचूड़ ने कहा कि इस बयान से वह बेहद असहज महसूस हुए और तुरंत मामले का स्वत: संज्ञान लिया।
मोटर वाहन अधिनियम मामले की सुनवाई के दौरान घटना
एक इंटरव्यू में चंद्रचूड़ ने बताया कि यह घटना कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnatka High court) में मोटर वाहन अधिनियम से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान हुई थी। सुनवाई के समय जज ने एक विशेष पुल के आगे के इलाके को पाकिस्तान कह दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ को यह बात वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए पता चली। उन्होंने मामले को गंभीर मानते हुए तुरंत पांच जजों (Five Judge) की बेंच गठित की और उस जज को नोटिस जारी किया।
जांच में बयान की पुष्टि
जांच के बाद यह साफ हो गया कि जज ने वास्तव में ऐसा विवादित बयान दिया था। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने संक्षिप्त लेकिन सख्त फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान या किसी अन्य देश से जोड़कर संबोधित करना न्यायपालिका के लिए अनुचित और अस्वीकार्य है।
न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने पर जोर
चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़े लोगों के फैसलों और बयानों में गरिमा और संवेदनशीलता होनी चाहिए। क्योंकि अदालत में कही गई बातें केवल पक्षकारों को नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। उनके अनुसार, जजों की जिम्मेदारी केवल कानून की व्याख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके शब्द समाज की सोच और विश्वास को भी आकार देते हैं।
जज यशवंत वर्मा मामले पर भी बोले
इंटरव्यू के दौरान पूर्व सीजेआई से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले पर भी सवाल पूछा गया। चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी जज को न्यायसंगत सुनवाई का पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जांच होनी चाहिए कि नकदी वास्तव में जज की थी या सिर्फ उनके घर से बरामद हुई।
न्यायपालिका में पारदर्शिता और विश्वास की जरूरत
पूर्व सीजेआई के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए सख्त आचार संहिता और जवाबदेही क्यों जरूरी है।चंद्रचूड़ के अनुसार, अदालत केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था नहीं है, बल्कि यह लोगों के बीच न्याय और निष्पक्षता का भरोसा कायम रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।
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