टैक्स भुगतान से नकदी पर दबाव
नई दिल्ली: भारत(India) के बैंकिंग(Bank) सिस्टम में नकदी की स्थिति बिगड़ गई है। 21 सितंबर को उपलब्ध नकदी घटकर 70 अरब रुपये रह गई, जो मार्च के बाद सबसे निचला स्तर था। यह गिरावट इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स(GST) के भारी भुगतान के चलते आई, जिससे लगभग 2.6 ट्रिलियन रुपये सिस्टम से बाहर हो गए। इसका सीधा असर बाजार की ब्याज दरों और उपभोक्ता कर्ज पर पड़ा है। हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह परेशानी अस्थायी है और जल्द हालात सुधरेंगे।
सरकारी खर्च और बॉन्ड से उम्मीद
क्वांटिको रिसर्च के अर्थशास्त्री विवेक कुमार ने बताया कि सरकारी खर्च और बॉन्ड से मिलने वाली आय इस कमी को संतुलित कर देगी। भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों की जमा राशि का करीब 1% नकदी रखने में सहज है, जो लगभग 2.5 ट्रिलियन रुपये है। टैक्स भुगतान से पहले नकदी इस स्तर से ऊपर थी।
इसलिए, उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह तक सरकारी निवेश और वित्तीय प्रवाह के कारण बैंकिंग सिस्टम में नकदी की आपूर्ति बढ़ जाएगी।
सीआरआर में कटौती से राहत
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का मानना है कि अक्टूबर तक नकदी की स्थिति बेहतर हो जाएगी। इसका कारण सरकारी खर्च में वृद्धि और कैश रिजर्व रेशियो में की जा रही कटौती है।
सीआरआर वह अनिवार्य राशि है, जिसे बैंकों(Bank) को आरबीआई के पास जमा करना होता है। इसे सितंबर से नवंबर के बीच चार किस्तों में घटाया जा रहा है। अगली कटौती 4 अक्टूबर को लागू होगी, जिससे नकदी का स्तर और मजबूत होगा।
बैंकिंग सिस्टम को भरोसा
विवेक कुमार का अनुमान है कि 4 अक्टूबर से पहले नकदी 2 से 2.5 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच सकती है। बैंक भी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और वे आरबीआई की रेपो विंडो से बहुत कम उधार ले रहे हैं।
इससे साफ है कि मौजूदा नकदी संकट अस्थायी है और आने वाले दिनों में बैंकिंग सिस्टम सामान्य स्थिति में लौट आएगा।
बैंकों में नकदी की कमी की वजह क्या रही?
सितंबर में टैक्स भुगतान की वजह से बड़ी रकम बैंकिंग सिस्टम से बाहर चली गई। इसी कारण नकदी का स्तर गिरकर 70 अरब रुपये तक पहुंच गया।
सीआरआर में कटौती से कैसे मिलेगी राहत?
सीआरआर कम होने पर बैंकों को अधिक नकदी अपने पास रखने का अवसर मिलता है। इससे उन्हें कर्ज देने और तरलता बनाए रखने में आसानी होगी।
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