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Latest News : Bihar Elections : ओवैसी के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियां?

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Latest News : Bihar Elections : ओवैसी के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियां?

2015 में एंट्री, 2020 में जीत की चमक

  • 2015 का चुनाव:
    ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन खास सफलता नहीं मिली।
  • 2020 में धमाकेदार एंट्री:
    सीमांचल क्षेत्र में खास तौर पर पार्टी ने पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। मुस्लिम बहुल इलाकों में AIMIM ने पकड़ दिखाई।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन (Owaisi) ओवैसी आज से मिशन बिहार पर हैं. वह 4 दिन की सीमांचल न्याय यात्रा निकालने जा रहे हैं. इसके साथ ओवैसी बिहार में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे।

सीमांचल वो क्षेत्र है जहां की आवाज ओवैसी Owaisi उठाते रहे हैं और यहां की जनता ने उन्हें भरपूर प्यार भी दिया है. (AIMIM) ने 2015 में सीमांचल से चुनाव लड़कर बिहार के सियासी मैदान में कदम रखा था और 2020 के चुनाव में तो 5 सीटों पर जीत दर्ज करके सभी को हैरान कर दिया था. AIMIM ने इस प्रदर्शन से बिहार में जमीन तो ढूंढ ली, लेकिन अब 5 साल बाद उसे बचाने की चुनौती है

ओवैसी विकास के लिए लोगों को एकजुट करने और सीमांचल क्षेत्र को न्याय दिलाने के लिए किशनगंज से यात्रा शुरू करेंगे.

न्याय यात्रा के दौरान ओवैसी Owaisi सीमांचल क्षेत्र के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में रोड शो और नुक्कड़ सभाएं करेंगे. हैदराबाद से सांसद ओवैसी विकास के लिए लोगों को एकजुट करने और सीमांचल क्षेत्र को न्याय दिलाने के लिए किशनगंज से यात्रा शुरू करेंगे. ओवैसी सीमांचल के पिछड़ेपन को उजागर करते रहे हैं. उन्होंने लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया जिसमें संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए ‘सीमांचल क्षेत्र विकास परिषद’ की स्थापना की मांग की गई थी।

पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और ऐसे संकेत हैं कि कई प्रभावशाली नेता और सामाजिक कार्यकर्ता एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।

सीमांचल में कितनी सीटें?

बिहार के पूर्वी जिले सीमांचल में आते हैं, जिनमें किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार शामिल हैं. इस क्षेत्र में विधानसभा की 24 सीटें आती हैं. इन इलाकों में मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है. किशनगंज में लगभग 68%, कटिहार और अररिया में लगभग 44-45% और पूर्णिया में लगभग 39% मुसलमान हैं।

AIMIM सीमांचल की आठ सीटों पर जोर देना चाहेगी. इनमें से अमौर, बैसी, बहादुरगंज, कोचाधामन और जोकीहाट उसकी पकड़ वाली सीटें हैं, जिन्हें उसने या तो 2020 में जीता था या जहां उसने स्पष्ट प्रभाव दिखाया था. तीन और निर्वाचन क्षेत्र किशनगंज, ठाकुरगंज और अररिया हैं।

हालांकि एआईएमआईएम ने इन सीटों पर जीत हासिल नहीं की है, फिर भी इसे प्रभावशाली माना जाता है और अगर महागठबंधन सीटों के बंटवारे में गड़बड़ी करता है या उसे बागी उम्मीदवारों का सामना करना पड़ता है तो त्रिकोणीय मुकाबला उसके पक्ष में जाने की क्षमता रखता है।

बिहार में ऐसे बढ़ता गया AIMIM का ग्राफ

ओवैसी Owaisi की पार्टी ने बिहार के चुनावों में 2015 में एंट्री की थी. सीमांचल क्षेत्र की 6 सीटों पर वो चुनाव लड़ी थी. उसका खाता नहीं खुला था, लेकिन वो प्रभाव छोड़ने में सफल रही थी. एक सीट पर उसका उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था. लेकिन 2019 के उपचुनाव में AIMIM का सिक्का चला।

किशनगंज सीट पर हुए विधानसभा के उपचुनाव में उसने जीत दर्ज की. 2020 आते-आते AIMIM को सीमांचल में अपनी ताकत का अंदाजा हो गया. इस चुनाव में 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 5 पर जीत दर्ज की. लेकिन 2022 में ओवैसी Owaisi को बड़ा झटका लगा. AIMIM के 4 विधायक पार्टी से इस्तीफा देकर RJD के साथ चले गए. सीमांचल में बढ़ते ग्राफ के बीच अब 5 साल बाद AIMIM के सामने कई चुनौतियां हैं.

2020 में सीमांचल में क्या थे नतीजे?

2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM 5, बीजेपी 8, जेडीयू 4, कांग्रेस 5, सीपीआई (एमएल) और आरजेडी 1-1 सीट जीतने में कामयाब रही थी. इस चुनाव में एनडीए किशनगंज जिले में अपना खाता भी नहीं खोल पाया, जो चार विधानसभा क्षेत्रों वाला एक मुस्लिम बहुल जिला है.

ओवैसी के सामने क्या चुनौतियां?

2015 में शुरुआत और 2020 में कमाल करनी वाली AIMIM के सामने इस चुनाव में एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां हैं. जिन 5 सीटों पर वो जीत दर्ज की थी उसमें से 4 विधायक आरजेडी में जा चुके हैं. पार्टी को अब उन क्षेत्र में ऐसे उम्मीदवार की जरूरत होगी जो उसे जीत दिला सके. बता दें कि AIMIM बहादुरगंज, जोकीहाट, अमौर, कोचाधामन और बैसी सीट पर जीत दर्ज की थी।

2023 के जाति आधारित सर्वे के अनुसार बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. 11 निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता 40% से ज्यादा हैं, जबकि सात में यह आंकड़ा 30% से ज्यादा है. 29 सीटों पर मुस्लिम मतदाता 20%-30% हैं. सीमांचल के कुछ हिस्सों में उनकी हिस्सेदारी 70% तक पहुंच जाती है।

एनडीए की बैठकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर 2005 से समुदाय

तीन दशकों से भी ज्यादा समय से मुसलमान बड़े पैमाने पर आरजेडी और उसके सहयोगियों का समर्थन करते रहे हैं. एनडीए की बैठकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर 2005 से समुदाय के लिए किए गए अपने कामों को बताते हैं, जिनमें कब्रिस्तानों की बाड़बंदी, मदरसा पंजीकरण और मान्यता और मदरसा शिक्षकों के वेतन में सरकारी शिक्षकों के बराबरी का प्रावधान शामिल है।

आरजेडी को मुसलमानों का साथ है, ये बात AIMIM को भी पता है. AIMIM बिहार के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने हाल ही में टीवी9 के मंच पर कहा था कि बिहार में मुसलमानों के साथ अनदेखी की जाती है. आरजेडी के पास आज भी मुसलमान ज्यादा हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे पास 0.5 फीसदी मुसलमान हैं. उन्होंने कहा कि लालू और तेजस्वी यादव सभी ने मुसलमानों को ठगा है. आरजेडी नहीं चाहती है कि मुसलमान न उठें. उन्होंने कहा कि आरजेडी को आज केवल एक ही आदमी चला रहा है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि यादव आज बीजेपी में जा रहे हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान इस हालत के लिए भी खुद ही जिम्मेदार हैं।

मुस्लिम बहुल सीटों पर RJD से सीधी लड़ाई

बिहार की 13 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 17.7% मुसलमान हैं और ये सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2020 के चुनावों में जेडीयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से कोई भी नहीं जीता, हालांकि सात दूसरे स्थान पर रहे. इससे साफ है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर AIMIM की सीधी लड़ाई आरजेडी से है. इन सीटों पर AIMIM को फायदे का मतलब है कि आरजेडी को चोट. 2020 के चुनाव में ऐसा ही हुआ था।

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन का क्या अर्थ है?’

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर यूनिटी ऑफ मुस्लिम्स ‘ ; संक्षिप्त एआईएमआईएम ) या केवल मजलिस, एक दक्षिणपंथी भारतीय राजनीतिक पार्टी है जो मुख्य रूप से हैदराबाद के पुराने शहर में स्थित है, यह भारतीय राज्यों तेलंगाना , महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु और बिहार में भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पार्टी है।

अकबरुद्दीन ओवैस की कितनी पत्नियां थीं?

निजी जीवन: ओवैसी का विवाह सबीना फरज़ाना से हुआ है। उनकी एक बेटी और एक बेटा है।

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