नवरात्रि और दुर्गा पूजा (Durga Puja) का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अगर बात पंडाल सजावट की हो, तो कोलकाता सबसे खास माना जाता है। यहाँ दुर्गा पूजा के दौरान बनने वाले पंडाल सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति (Sanskriti) का अनोखा संगम होते हैं।
अगर आप इस साल दुर्गा पूजा पर कोलकाता घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें –
मौसम की जानकारी पहले लें
त्यौहार के मौसम में कोलकाता (Kolkatta) का मौसम अक्सर बारिश भरा होता है। कई बार अचानक बाढ़ जैसी स्थिति भी बन जाती है। ऐसे में यात्रा से पहले मौसम का अपडेट लेना ज़रूरी है, ताकि आपकी प्लानिंग और मूड दोनों खराब न हों। पूजा के दौरान कोलकाता में लाखों लोग पंडाल घूमने आते हैं। इस भीड़ में होटल या गेस्ट हाउस मिलना आसान नहीं होता। इसलिए बेहतर होगा कि आप ऑनलाइन एडवांस बुकिंग कर लें, ताकि परिवार को कोई परेशानी न हो।
हल्के और आरामदायक कपड़े साथ रखें
त्यौहार के दिनों में ज्यादा पैदल चलना और बारिश में भीगना आम बात है। ऐसे में हल्के कपड़े रखें, जो जल्दी सूख जाएं और आरामदायक हों। भारी कपड़े रखने से सफर में परेशानी बढ़ सकती है।
पंडाल दर्शन का सही समय चुनें
अगर आप भीड़ से बचकर आराम से पंडालों की सजावट देखना चाहते हैं, तो विजयदशमी के बाद घूमने का प्लान करें। इस दौरान भीड़ कम होती है और आप पंडाल की खूबसूरती को बारीकी से निहार सकते हैं।
कोलकाता में कितने दुर्गा पूजा पंडाल हैं?
वह अगले पाँच दिनों में राज्य भर में 3,000 से ज़्यादा पंडालों का उद्घाटन करेंगी। ताला प्रत्तोय दुर्गा पूजा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, सुश्री बनर्जी ने कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा के साथ इलाके में स्थित पंडाल का दौरा किया।
कोलकाता दुर्गा पूजा के लिए क्यों प्रसिद्ध है?
कोलकाता की दुर्गा पूजा अपनी कला की भव्यता, सामाजिक सहभागिता और यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विख्यात है। यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि कला, संस्कृति और व्यंजनों का भी उत्सव है, जिसमें भव्य थीम वाले पंडाल सजाए जाते हैं और लोग खुशियों और उत्साह में रम जाते हैं।
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