कनाडा से आतंकी गोसाल को मिली जमानत
ओटावा: कनाडा की अदालत ने खालिस्तानी(Khalistan) समर्थक इंदरजीत सिंह गोसाल को जेल से जमानत पर रिहा कर दिया है। पिछले हफ्ते गिरफ्तारी के बाद भारतीय समुदाय को राहत की उम्मीद थी, मगर इतनी जल्दी जमानत मिलने से गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रिहा होते ही गोसाल ने खुलेआम भारत(India) विरोधी बयान दिया और दिल्ली(Delhi) को खालिस्तान बनाने की धमकी दी। इस घटनाक्रम से खालिस्तानी(Khalistan) गतिविधियों को लेकर चिंता और गहरी हो गई है।
गोसाल की धमकी और पन्नू का बयान
इंदरजीत सिंह गोसाल ने जेल से बाहर आते ही सार्वजनिक तौर पर कहा कि वह दिल्ली को खालिस्तान(Khalistan) में बदल देगा। इस बयान के साथ ही सिख फॉर जस्टिस संगठन के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी एक नया वीडियो जारी कर भारत विरोधी भाषण दिया। पन्नू ने इसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को सीधे तौर पर धमकी दी। यह बयान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती पेश करता है।
भारत सरकार पहले ही गुरपतवंत सिंह पन्नू को वैश्विक आतंकी घोषित कर चुकी है। उस पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और उसके खिलाफ जांच जारी है। गोसाल की रिहाई और पन्नू की धमकी से साफ है कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों को पर्याप्त राजनीतिक और कानूनी समर्थन मिलता रहा है।
गिरफ्तारी से रिहाई तक का सिलसिला
इंदरजीत सिंह गोसाल को ओटावा में पिछले हफ्ते हथियार रखने और अन्य गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। 36 वर्षीय गोसाल को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से SFJ में प्रमुख आयोजक माना जाने लगा। उसकी गिरफ्तारी पर भारतीय समुदाय ने राहत महसूस की थी, लेकिन जल्द रिहाई से असंतोष बढ़ गया है।
खबरों के अनुसार, गोसाल आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस का सक्रिय सदस्य और पन्नू का करीबी सहयोगी है। उसकी गतिविधियों पर पहले से ही नजर रखी जा रही थी। इसके बावजूद अदालत से मिली जमानत ने यह दिखा दिया है कि कनाडा सरकार खालिस्तानी तत्वों पर कठोर कार्रवाई करने से बचती रही है।
क्या इंदरजीत सिंह गोसाल की रिहाई भारत-कनाडा संबंधों पर असर डालेगी?
गोसाल की रिहाई ने भारत-कनाडा रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है। भारत पहले ही कनाडा पर खालिस्तानी समर्थकों को शरण देने का आरोप लगा चुका है, और अब यह कदम उन आरोपों को और मजबूत करता है।
क्या गुरपतवंत सिंह पन्नू पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्रवाई संभव है?
हाँ, भारत लगातार पन्नू के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग कर रहा है। उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के बाद अब दूसरे देशों पर दबाव है कि वे उसकी गतिविधियों पर रोक लगाएं और कानूनी कदम उठाएं।
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