नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी में शरीर को स्वस्थ रखना बड़ी चुनौती बन गया है। लगातार कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन के सामने बैठना, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक तनाव (Mental Stress) धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करते हैं। थकान, मांसपेशियों में अकड़न, पीठ और गर्दन में खिंचाव जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। ऐसे में योग (Yoga) जीवन में राहत और शांति लाने का प्रभावी उपाय बन सकता है।
ताड़ासन: शरीर को सक्रिय और लंबा बनाए
ताड़ासन योग का एक बुनियादी लेकिन बेहद लाभकारी आसन है। इसमें पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचा जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी से लेकर एड़ियों तक हर मांसपेशी में खिंचाव आता है। नियमित अभ्यास से शरीर की लंबाई में सुधार, संतुलन और स्थिरता बेहतर होती है। यह आसन मांसपेशियों को सक्रिय करता है और पूरे दिन के लिए शरीर को तैयार करता है।
उत्तानासन : पीठ और हैमस्ट्रिंग को राहत दे
उत्तानासन उन लोगों के लिए वरदान है, जो लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं। इस आसन से हैमस्ट्रिंग, पीठ और रीढ़ की हड्डी को खिंचाव मिलता है और शरीर के निचले हिस्से की अकड़न दूर होती है। झुकते समय उल्टा रक्त प्रवाह मस्तिष्क तक अधिक ऑक्सीजन (Oxygen) पहुंचाता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है। धीरे-धीरे इसका अभ्यास पीठ दर्द से राहत दिलाने में भी कारगर साबित होता है।
भुजंगासन : रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाएं
भुजंगासन को सांप की मुद्रा भी कहा जाता है। इसमें शरीर का आकार फन उठाए हुए सांप जैसा होता है। यह आसन विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। छाती को ऊपर उठाने और कमर से झुकने पर पीठ की मांसपेशियों में सक्रियता आती है। इससे जकड़न कम होती है और शरीर की मुद्रा में सुधार होता है। भुजंगासन कंधों और छाती को खोलता है, जिससे श्वसन प्रणाली बेहतर काम करती है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
योग : शरीर और मन दोनों को राहत
ताड़ासन, उत्तानासन और भुजंगासन का नियमित अभ्यास शरीर और मन दोनों को राहत देता है। ये आसन न केवल मांसपेशियों की जकड़न दूर करते हैं, बल्कि मानसिक तनाव कम करने और पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखने में भी सहायक हैं।
Yoga का जनक कौन था?
महर्षि पतंजलि, जिन्हें “योग के जनक” कहा जाता है, ने अपने “योग सूत्रों” में योग के विभिन्न पहलुओं को व्यवस्थित रूप से संकलित और परिष्कृत किया।
योग की परिभाषा क्या है?
योग शब्द संस्कृत के ‘युज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’ या ‘एकजुट होना’। यह मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने की एक कला और विज्ञान है, जिसमें व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक चेतना से मिलन होता है।
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